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कहानी **"शिवा और जन्माष्टमी की झांकी"**

*"शिवा और जन्माष्टमी की झांकी"** कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष राणा थारू समाज में धूमधाम से मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर, गाँव के सभी लोग सज-धज कर मंदिर में एकत्र होते हैं। राणा थारू समाज के लोग भगवान कृष्ण के प्रति गहरी आस्था रखते हैं और उनकी लीला को अपनी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। कहानी शुरू होती है गंगापुर गाँव में, जहाँ छोटे-से शिवा ने पहली बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने का जिम्मा उठाया। शिवा 12 साल का एक चतुर और साहसी लड़का था, जो हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता था। उसकी दादी उसे कृष्ण की कहानियाँ सुनाया करती थीं, और वे कहानियाँ उसके मन में गहरे बैठ गई थीं। शिवा ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पूरे गाँव में मटकी फोड़ने का आयोजन किया। मटकी फोड़ना कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है। शिवा और उसके दोस्तों ने रंग-बिरंगे कपड़े पहने और सिर पर पगड़ी बांधकर तैयार हो गए। शिवा ने मंदिर के प्रांगण में एक सुंदर झांकी बनाई, जिसमें कृष्ण जी की बाल लीला, गोपियों के साथ रासलीला, और कंस का वध जैसी घटनाएँ दिख...

कहानी का शीर्षक: "विभाजन की लहर: राणा थारू समाज पर क्रीमेलियर का संकट"**

**कहानी का शीर्षक: "विभाजन की लहर: राणा थारू समाज पर क्रीमेलियर का संकट"** : नवीन सिंह राणा  (प्रस्तुत काल्पनिक कहानी में क्रीमेलियर के भविष्य में संभावित प्रभावों को देखते हुऐ वर्णित किया गया है और समाज को कुछ जागरूक करने का प्रयास किया गया है, जिसमे कहानी को रोचकता देने हेतु कुछ ऐसे विचार भी शामिल हो गए हैं जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही है) राणा थारू समाज, जो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में बसता है, एक बार फिर चुनौती के सामने था। सदियों से इस समाज ने अपने अद्वितीय संस्कृति, परंपराओं और एकजुटता को बनाए रखा था। यहाँ के लोग खेती, जंगल से उत्पाद एकत्रित करना और हस्तशिल्प के जरिए अपनी आजीविका चलाते थे। समाज में हमेशा समानता और भाईचारे का बोलबाला था। लेकिन एक दिन सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया जिसने पूरे समाज को चिंता में डाल दिया। कोर्ट ने क्रीमेलियर नामक एक विवादास्पद नीति को मंजूरी दे दी। इस नीति के तहत समाज के उन लोगों को आरक्षण और अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जायेगा जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर मानी जायेगी। समाज में इस फैसले की गूँज सुनाई देने लगी। ...

संघठन मंत्री द्वारा किए जा सकने वाले संभावित गलत कार्य

संघठन मंत्री की जिम्मेदारियों में संगठन को सुव्यवस्थित और सुचारू रूप से चलाना शामिल होता है। लेकिन अगर वह अपनी भूमिका का दुरुपयोग करता है, तो कुछ संभावित गलत कार्य इस प्रकार हो सकते हैं: 1. **सत्ता का दुरुपयोग**: अपने पद का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करना, जैसे कि अपने करीबी लोगों को पद देना।    2. **भ्रष्टाचार**: संगठन के संसाधनों का दुरुपयोग करके आर्थिक लाभ प्राप्त करना। 3. **जानकारी का दुरुपयोग**: गोपनीय जानकारी को गलत तरीके से इस्तेमाल करना या लीक करना। 4. **गुटबाजी**: संगठन में अपने समर्थकों का गुट बनाकर निर्णय लेने में पक्षपात करना। 5. **गैर-लोकतांत्रिक तरीके**: संगठन के फैसलों में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन न करना। 6. **सूचना दबाना**: संगठन के सदस्यों से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाना। 7. **नैतिक अनियमितताएँ**: नैतिकता और आचार संहिता का उल्लंघन करना। ये कुछ उदाहरण हैं कि एक संगठन मंत्री कैसे अपने पद का गलत उपयोग कर सकता है। इसलिए कभी कभी सभी सद्स्यों को इस पर नजर रखना जरूरी हो सकता है ।

कोन से संभावित गलत कार्य किसी समिति का अध्यक्ष कर सकता है?

कभी कभी किसी सामाजिक संगठन में अध्यक्ष द्वारा किए जा सकने वाले कुछ गलत कार्य निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. **धन का दुरुपयोग**: संगठन के धन का अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग करना। 2. **सत्ता का दुरुपयोग**: संगठन के सदस्यों पर अपने निजी हितों को थोपना या अपने पद का अनुचित लाभ उठाना। 3. **भ्रष्टाचार**: निर्णय प्रक्रिया में पक्षपात करना, रिश्वत लेना, या अनैतिक तरीकों से संगठन के संसाधनों का उपयोग करना। 4. **पारदर्शिता की कमी**: संगठन के कार्यों और वित्तीय मामलों में पारदर्शिता नहीं रखना, जिससे सदस्यों को सही जानकारी न मिल सके। 5. **सदस्यों की अनदेखी**: संगठन के अन्य सदस्यों के सुझावों, विचारों और आवाज़ को नजरअंदाज करना। 6. **गुप्त निर्णय लेना**: संगठन के महत्वपूर्ण फैसले बिना सलाह-मशविरा के गुप्त रूप से लेना। 7. **अवांछनीय गतिविधियों में शामिल होना**: संगठन के नाम का उपयोग अवैध या अनैतिक गतिविधियों के लिए करना। 8. **दुराचार या शोषण**: संगठन के सदस्यों या कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार, शोषण, या अनुचित व्यवहार करना। ऐसे कार्य संगठन की छवि और उद्देश्यों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और अध्यक्ष को ...

कैसे करें बिना अध्यक्ष के समिति का संचालन?

किसी संगठन को बिना अध्यक्ष के आगे बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यदि अध्यक्ष पद को हटाने से संगठन में दिक्कतें कम होती हैं, तो इसे कुछ तरीकों से सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है: 1. **कोर टीम का गठन**: अध्यक्ष की जगह, एक कोर टीम बनाई जा सकती है जिसमें संगठन के महत्वपूर्ण कार्यों को संभालने के लिए विभिन्न लोगों को जिम्मेदारियां सौंपी जाएं। यह टीम सामूहिक रूप से निर्णय लेगी और संगठन के उद्देश्यों की ओर कार्य करेगी। 2. **स्वायत्तता और पारदर्शिता**: संगठन के सभी सदस्यों को अपने काम में स्वायत्तता दी जाए, ताकि वे अपनी भूमिका निभा सकें। साथ ही, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाएं और सभी सदस्यों को इसके बारे में जानकारी दी जाए। 3. **लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया**: निर्णय लेने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जाए, जिसमें सभी सदस्यों की राय ली जाए और बहुमत से निर्णय लिया जाए। इससे किसी एक व्यक्ति पर निर्भरता कम होगी। 4. **लघु समिति**: संगठन के विभिन्न पहलुओं को संभालने के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया जाए, जो अपने कार्यक्षेत्र में स्वतंत्रता से काम करें। इ...

अनुभव आधारित प्रशिक्षण (Experience-Based Training) क्या है?**

**अनुभव आधारित प्रशिक्षण (Experience-Based Training) क्या है?** अनुभव आधारित प्रशिक्षण एक ऐसी विधि है जिसमें व्यक्ति को वास्तविक जीवन के अनुभवों से सीखने का अवसर दिया जाता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण में व्यक्ति किसी कार्य को करके, समस्याओं का सामना करके, और उनके समाधान खोजकर सीखता है। यह प्रशिक्षण पुस्तकीय ज्ञान के बजाय वास्तविक जीवन की परिस्थितियों पर आधारित होता है। **मुख्य विशेषताएँ:** 1. **सीखने का सक्रिय तरीका:** इस प्रशिक्षण में व्यक्ति को खुद से कार्य करने और निर्णय लेने का मौका मिलता है। इससे वह सक्रिय रूप से सीखता है और ज्ञान को अपने अनुभवों के साथ जोड़ता है। 2. **समस्या-समाधान कौशल का विकास:** प्रशिक्षण के दौरान व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उसकी समस्या-समाधान की क्षमता में सुधार होता है। 3. **टीम वर्क और नेतृत्व का विकास:** अनुभव आधारित प्रशिक्षण में अक्सर समूह में काम किया जाता है, जिससे टीम वर्क और नेतृत्व के गुणों का विकास होता है। 4. **व्यावहारिक ज्ञान:** यह प्रशिक्षण व्यक्ति को वास्तविक परिस्थितियों में काम करने का अनुभव प्रदान करता है, जिससे...

थारू समाज में तीज पर्व: परंपरा, उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर"by Naveen Singh Rana #cultural #Rana Tharu #khatima #sitarganj #festival#

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"थारू समाज में तीज पर्व: परंपरा, उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर" By Naveen Singh Rana  #संस्कृति #तीज #थारू लोग #त्यौहार #लाइक #सब्सक्राइब # तीज का पर्व थारू समाज में प्राचीन समय से उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता रहा है। पुराने समय में तीज की बाजार का विशेष महत्व था, जहां सोन पापड़ी, लच्छे और नाशपाती जैसे फलों और मिठाइयों का भरपूर आनंद लिया जाता था। हालांकि, आजकल तीज मनाने के तरीके में बदलाव आया है, लेकिन इसका उत्साह और उल्लास वैसा ही बना हुआ है। तीज पर्व की एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि जब कोई बालक जन्म लेता है, तो बेमाइया देवियों का चित्र बनाया जाता है, जिन्हें हमारी मां के रूप में पूजा जाता है। सावन महीने में बहनें अपने भाइयों और भतीजों के लिए लंबी उम्र की कामना करती हुई तीज का त्यौहार मनाती  हैं, खासकर वे भाई , भतीजे जो दूर दराज में काम करने जाते हैं। इन बहनों का स्नेह और ममता गुलगुला और पूरी जलधारा में प्रवाहित कर प्रकट की जाती है और गंगा मां से उनके अच्छे होने की कामना की जाती है। समाज में इस सम्बन्ध में कई लोककथाये कही जाती हैं  उन्ही...

आयकर दिवस राष्ट्रीय प्रगति की रीढ़

**आयकर दिवस: राष्ट्रीय प्रगति की रीढ़** आयकर दिवस, जिसे हम 24 जुलाई को मनाते हैं, न केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता है बल्कि एक राष्ट्रीय कर्तव्य और गर्व का प्रतीक भी है। इस दिन, हमें न केवल सरकार की आयकर नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, बल्कि यह भी समझना चाहिए कि यह कराधान प्रणाली हमारे देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य 1860 में जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश भारत में आयकर की शुरुआत की थी, जिससे सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए एक स्थायी राजस्व स्रोत स्थापित हुआ। तब से लेकर अब तक, आयकर प्रणाली में कई सुधार और परिवर्तन हुए हैं, जिससे यह प्रणाली अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनी है। आर्थिक विकास में आयकर की भूमिका आयकर, सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है, जो देश के विकासात्मक परियोजनाओं, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश के लिए आवश्यक धनराशि प्रदान करता है। आयकर की वजह से ही सरकार सामाजिक कल्याण योजनाओं को क्रियान्वित कर सकती है और कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान कर सकती है। यह धनराशि न केवल सरकारी योजनाओं...

**कहानियों का जादू: राधा की शिक्षा यात्रा**

**कहानियों का जादू: राधा की शिक्षा यात्रा** By Naveen Singh Rana  एक छोटे से गाँव में राधा नाम की एक बच्ची रहती थी। राधा को कहानियां सुनना और पढ़ना बहुत पसंद था। उसके गाँव में एक छोटी सी लाइब्रेरी थी, जिसे गांव के सभी लोगों ने मिलकर बनाया था।जहाँ वह रोज़ जाया करती थी। एक दिन, उसे एक पुरानी और धूल से भरी हुई किताब मिली। किताब के ऊपर लिखा था, "जादुई पुस्तक।" राधा ने उत्सुकता से पुस्तक खोली और पढ़ने लगी। जैसे ही उसने पहली कहानी पढ़नी शुरू की, उसे लगा जैसे वह कहानी के अंदर खींची जा रही है। वह एक घने और सुंदर फूलों के जंगल में पहुँच गई, जहाँ उसने एक बौने से मुलाकात की। बौने ने कहा, "राधा, इस जंगल में एक खजाना छुपा है। तुम्हें इस खजाने तक पहुँचने के लिए कुछ पहेलियों को हल करना होगा।" पहली पहेली थी: "मैं ऐसी जगह हूँ जहाँ सूरज कभी नहीं उगता, फिर भी मैं हमेशा चमकता हूँ। मैं क्या हूँ?" राधा ने थोड़ा सोचा और फिर मुस्कुराई, "और पहेली को दुबारा बुदबुदाया और बोली,"यह चाँद है!" बौना खुश हुआ और उसने अगली पहेली दी: "मैं हवा में उड़ता हूँ, फिर भी मेरे पा...

गुरु पूर्णिमा और भारतीय संस्कृति: राणा संस्कृति मंजूषा द्वारा संपादकीय**

**गुरु पूर्णिमा और भारतीय संस्कृति: राणा संस्कृति मंजूषा द्वारा संपादकीय** गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो न केवल हमारे शास्त्रीय परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, बल्कि आज की आधुनिक जीवनशैली में भी उसका विशेष महत्व है। यह पर्व अषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया था। भारतीय समाज में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण और आदरणीय रहा है। "गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।" इस मंत्र में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान बताया गया है, जो दर्शाता है कि गुरु का स्थान हमारे जीवन में कितनी महत्ता रखता है।  गुरु पूर्णिमा का महत्व सिर्फ धार्मिक या आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और ज्ञान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने शिक्षकों और मार्गदर्शकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए, जिन्होंने हमें ज्ञान, संस्कार और जीवन के मूल्य सिखाए...

कहानी: "विनम्रता की जीत

कहानी: "विनम्रता की जीत" नवीन सिंह राणा  एक छोटे से गांव में, एक महिला जिसका नाम राधा देवी था, रहती थी। राधा देवी को उसकी तीव्र बुद्धि और ज्ञान के कारण सभी सम्मान करते थे। गांव के लोग अक्सर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए राधा के पास आते थे, और वह हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहती थी। धीरे-धीरे, राधा को अपने ज्ञान और समझ पर गर्व होने लगा और उसने खुद को सबसे अधिक बुद्धिमान मानना शुरू कर दिया।उसे अभिमान हो गया था। राधा देवी को अब लोगों का सम्मान मिलने के बजाय, वे उससे दूर भागने लगे। वह लोगों के सवालों का जवाब तो देती थी, लेकिन उनके विचारों को कभी महत्व नहीं देती थी। उसने यह मान लिया था कि केवल वही सही है और दूसरों की राय कोई मायने नहीं रखती। एक दिन गांव में एक नई महिला, सुमनदेवी, आई। सुमन देवी भी बहुत बुद्धिमान थी लेकिन वह विनम्र और समझदार भी थी। उसने लोगों के साथ बात की, उनकी समस्याओं को सुना और उनकी राय को भी महत्व दिया। धीरे-धीरे लोग सुमन देवी के पास जाने लगे और राधा देवी को भूलने लगे। राधा देवी को यह बदलाव महसूस हुआ और उसने अपने आप से सवाल किया कि आखिर क्यों लोग उससे दूर हो र...

संघठन की सच्चाई एक कहानी

संगठन की सच्चाई By Naveen Singh Rana  एक समय की बात है, एक छोटे से गांव समाज में एक समाजसेवी संगठन का गठन हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य गांव की उन्नति और भलाई करना था। इस संगठन के अध्यक्ष, मोहन, एक विनम्र और सज्जन व्यक्ति थे, जो सबके साथ प्रेम और सौहार्द से पेश आते थे। उनके नेतृत्व में संगठन ने कई सफल परियोजनाएं चलाईं और गांव के लोग खुशहाल जीवन जीने लगे। एक दिन, मोहन ने अपने स्वास्थ्य कारणों से उच्च पद से इस्तीफा दे दिया। संगठन ने सर्वसम्मति से अमित को नया उच्च पद चुना। अमित पढ़े-लिखे और बुद्धिमान थे, लेकिन उनमें एक कमी थी—वे हमेशा अपने पद और शक्ति का दिखावा करते थे। और खुद को संघठन का कद्दावर पदाधिकारी समझता था। अमित नेउच्च पद के बाद तुरंत ही अपने पद का रौब दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने साथियों से कठोर व्यवहार करना शुरू कर दिया और अपने आदेशों को बिना किसी सलाह के लागू करना शुरू कर दिया। जहां पहले मीटिंग्स में सबकी राय ली जाती थी, अब वहां अमित के आदेश ही सबकुछ थे। और बात बात में अन्य सदस्यों को ठीक ढंग से काम न करने पर उनके पदों से हटाने की धमकियां दी जाने लगीं। धीरे-धीरे संगठन के ...

जल भराव की स्थिति: अतिक्रमण और जल निकास की कमी के प्रभाव

जल भराव की स्थिति: अतिक्रमण और जल निकास की कमी के प्रभाव Published by Naveen Singh Rana  वर्तमान समय में जल भराव की समस्या ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों दोनों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस समस्या के प्रमुख कारणों में नदी-नालों पर अतिक्रमण और जल निकास की कमी प्रमुख हैं। यह दो पहलू मिलकर न केवल स्थानीय निवासियों की जीवनशैली को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी गंभीर संकट में डाल रहे हैं।  नदी-नालों पर अतिक्रमण नदी-नालों पर अतिक्रमण का मुद्दा तेजी से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे भूमि की मांग भी बढ़ती जा रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए नदी-नालों के किनारे अवैध निर्माण और अतिक्रमण की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इन अतिक्रमणों के कारण नदियों का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और वे अपनी प्राकृतिक दिशा में बहने में असमर्थ हो जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बारिश के मौसम में जल का संचय अधिक हो जाता है और जल भराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जल निकास की कमी जल निकास प्रणाली की कमी भी जल भराव का एक बड़ा कारण है। कई नगरों और गांवों में पुरा...

Neuroscience Day(World Forgiveness Day): Importance in our life। Editorial Rana Culture ManjushaThe only online magazine of Rana Samaj

Neuroscience Day(World Forgiveness Day): Importance in our life Editorial Rana Culture Manjusha The only online magazine of Rana Samaj (Published by Naveen Singh Rana) Our country India, which has a tradition since ages to forget our differences and forgive those with whom we have differences. Similarly, Global Forgiveness Day** is an important occasion that inspires us to understand the importance of forgiveness and adopt it in our lives. This day reminds us that forgiveness is not only necessary for our mental and emotional health, but it also strengthens our social and personal relationships. Neuroscience studies have proven that forgiveness has a positive effect on our brain and nervous system. When we forgive someone, the secretion of oxytocin, also known as the "love hormone", increases in our brain. This hormone makes us feel peaceful and content and reduces our stress levels. Forgiving also reduces the level of cortisol, which is a stress hormone, in the brain, thereb...

तंत्रिका विज्ञान दिवस(विश्व क्षमा दिवस): हमारे जीवन में महत्व (सम्पादकीय) राणा संस्कृति मंजूषा राणा समाज की एकमात्र ऑनलाइन पत्रिका

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तंत्रिका विज्ञान दिवस(विश्व  क्षमा  दिवस): हमारे जीवन में महत्व सम्पादकीय  राणा संस्कृति मंजूषा  राणा समाज की एकमात्र ऑनलाइन पत्रिका  (Published by Naveen Singh Rana)      हमारा देश भारत, जिसकी युगों से परंपरा रही है कि हम आपसी मतभेदों को भुलाकर उनको माफ करें जिनके साथ हमारे मतभेद हैं। ऐसे ही तंत्रिका विज्ञान दिवस** (Global Forgiveness Day) एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हमें क्षमा के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि क्षमा करना न केवल हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों को भी मजबूत बनाता है।      तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) के अध्ययन ने यह साबित किया है कि क्षमा करना हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जब हम किसी को क्षमा करते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन, जिसे "लव हार्मोन" भी कहा जाता है, का स्राव बढ़ जाता है। यह हार्मोन हमें शांति और संतोष का अनुभव कराता है और हम...

विश्व जूनोटिक दिवस: राणा थारू समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश(सम्पादकीय)

 विश्व जूनोटिक दिवस: राणा थारू समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश(सम्पादकीय) Published by Naveen Singh Rana                         6 जुलाई को विश्व जूनोटिक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो जूनोटिक बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। राणा थारू समाज, जो प्रकृति के साथ गहरे जुड़े हुए हैं और अपने पशुओं के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं, के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे स्वास्थ्य और हमारी समृद्धि के लिए पशुओं का स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है।      जूनोटिक बीमारियाँ वे बीमारियाँ हैं जो पशुओं से मनुष्यों में फैलती हैं। इनमें रेबीज, बर्ड फ्लू, और लेप्टोस्पाइरोसिस जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। राणा थारू समाज, जो खेती और पशुपालन पर निर्भर है, को इन बीमारियों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, संक्रमित पशुओं का दूध पीने या उनके साथ सीधे संपर्क में आने से ये बीमारियाँ फैल सकती हैं।     जूनोटिक बीमारियों से बचाव के लिए निम्नलिखि...