जल भराव की स्थिति: अतिक्रमण और जल निकास की कमी के प्रभाव
जल भराव की स्थिति: अतिक्रमण और जल निकास की कमी के प्रभाव
Published by Naveen Singh Rana
वर्तमान समय में जल भराव की समस्या ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों दोनों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस समस्या के प्रमुख कारणों में नदी-नालों पर अतिक्रमण और जल निकास की कमी प्रमुख हैं। यह दो पहलू मिलकर न केवल स्थानीय निवासियों की जीवनशैली को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी गंभीर संकट में डाल रहे हैं।
नदी-नालों पर अतिक्रमण
नदी-नालों पर अतिक्रमण का मुद्दा तेजी से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे भूमि की मांग भी बढ़ती जा रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए नदी-नालों के किनारे अवैध निर्माण और अतिक्रमण की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इन अतिक्रमणों के कारण नदियों का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और वे अपनी प्राकृतिक दिशा में बहने में असमर्थ हो जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बारिश के मौसम में जल का संचय अधिक हो जाता है और जल भराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
जल निकास की कमी
जल निकास प्रणाली की कमी भी जल भराव का एक बड़ा कारण है। कई नगरों और गांवों में पुराने और अव्यवस्थित जल निकास तंत्र का उपयोग किया जा रहा है जो बढ़ती जनसंख्या और बदलते मौसमीय परिस्थितियों के अनुरूप नहीं हैं। इन निकास तंत्रों की क्षमता सीमित होती है और भारी बारिश के दौरान यह जल की मात्रा को संभालने में असमर्थ होते हैं। इसके परिणामस्वरूप, जल का संचय हो जाता है और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
समाधान और उपाय
जल भराव की समस्या के समाधान के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है:
1. **अतिक्रमण पर सख्त नियंत्रण:** सरकार को अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और नदी-नालों के किनारे बने अवैध निर्माणों को हटाना चाहिए।
2. **आधुनिक जल निकास प्रणाली:** पुरानी जल निकास प्रणालियों को बदलकर आधुनिक और प्रभावी प्रणालियों का निर्माण करना चाहिए जो बढ़ती जनसंख्या और बदलते मौसमीय परिस्थितियों के अनुरूप हों।
3. **सामाजिक जागरूकता:** जनता में जल संसाधनों के संरक्षण और उनके सही उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि वे जल निकासी और अतिक्रमण की समस्याओं को समझ सकें और उनके समाधान में सहयोग कर सकें।
4. **हरित क्षेत्र का विकास:** नदी-नालों के किनारे हरित क्षेत्र विकसित करने चाहिए जो जल संचय को कम कर सकते हैं और जल निकासी में सहायता कर सकते हैं।
निष्कर्षतः, जल भराव की समस्या का समाधान सिर्फ सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, बल्कि इसमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी भी आवश्यक है। अतिक्रमण पर नियंत्रण और प्रभावी जल निकास प्रणाली का निर्माण करके ही हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं और एक सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण का निर्माण कर सकते हैं।
:राणा संस्कृति मंजूषा की समाज हित में चिंतन