चलो साथ चलते हैं


श्री गोपाल सिंह राणा जी  एक विद्वान और विचारक  व्यक्ति है व शिक्षक का कार्य करते हैं। वे अच्छे रचनाकार कवि और लेखक भी है। अपने समाज के प्रति आप में अपार श्रद्धा और आस्था है आपकी उन्हीं रचनाओं में से एक कविता ब्लॉग में प्रसारित करने का अवसर मिला है। आशा है समाज को एक नया सन्देश मिलेगा।

            कविता: चलो न साथ चलते हैं।
चलो न साथ चलते हैं 
         अपनो की भलाई के लिए,
                           भविष्य में देखेंगे
                   कर्तव्य क्या परिणाम लाता है।1।

यह सोचकर कि कुछ भी कर लो 
                    हम बदल नही सकते ,
             यह सोचकर किनारे पर बैठ जायेंगे ,
           तो क्या जमाने के साथ आगे बड़ पायेंगे।2।

        चलो शुरुआत करते हैं,
                    कुछ तो बात करते हैं।
  राणा समाज आगे बढ़ाने हेतु,
                     थोड़ा काज करके देखते हैं ।3।

अपनों में जागरुकता लाने की ,
                मिलकर नईं शुरूआत करते हैं।
बातों बातों में ही तो बात बनती है 
            कुछ नही तो,जान पहिचान बनती है।4।

    चलो न साथ चलते हैं 
               अपनो की भलाई में,
भविष्य में देखेंगे कि,
         कर्तव्य क्या परिणाम लाता है।

द्वारा रचित 
     गोपाल सिंह राणा
      शिक्षक 
      

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संकलन कर्ता
नवीन सिंह राणा 

टिप्पणियाँ

Surjit Singh Rana ने कहा…
गोपाल सर को बहुत-बहुत साधुवाद ,आपके द्वारा सामाजिक परिवर्तन बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है I I हमें विश्वास है कि आपकी यह रचना हमारे समाज में जरूर परिवर्तन लाएगी जय राणा समाज ,जय भारत माता की
सुखदेव सिंह राणा ने कहा…
गोपाल सर राणा समाज को नई राह दिखाने की पहल कविता के माध्यम से सराहनीय कदम। जय हो

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