चलो साथ चलते हैं
कविता: चलो न साथ चलते हैं।
चलो न साथ चलते हैं
अपनो की भलाई के लिए,
भविष्य में देखेंगे
कर्तव्य क्या परिणाम लाता है।1।
यह सोचकर कि कुछ भी कर लो
हम बदल नही सकते ,
यह सोचकर किनारे पर बैठ जायेंगे ,
तो क्या जमाने के साथ आगे बड़ पायेंगे।2।
चलो शुरुआत करते हैं,
कुछ तो बात करते हैं।
राणा समाज आगे बढ़ाने हेतु,
थोड़ा काज करके देखते हैं ।3।
अपनों में जागरुकता लाने की ,
मिलकर नईं शुरूआत करते हैं।
बातों बातों में ही तो बात बनती है
कुछ नही तो,जान पहिचान बनती है।4।
चलो न साथ चलते हैं
अपनो की भलाई में,
भविष्य में देखेंगे कि,
कर्तव्य क्या परिणाम लाता है।
द्वारा रचित
गोपाल सिंह राणा
शिक्षक
आपको कविता कैसी लगी, कॉमेंट बॉक्स में जाकर कॉमेंट कर सकते हैं। यदि आप भी अपनी रचना हमारे ब्लॉग में छपवाना चाहते हैं तो सादर आमंत्रित हैं आप अपनी रचना भेज सकते हैं।
संकलन कर्ता
नवीन सिंह राणा