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"त्यागिनी सीता का मौन प्रश्न"नवीन सिंह राणा की कलम से # नारी वेदना #अन्याय #

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त्यागिनी सीता का मौन प्रश्न" नवीन सिंह राणा की कलम से   बार बार सीता मैया को ही,  क्यों देनी पड़ी अग्नि परीक्षा, किया इतना बलिदान जिसने, फिर भी न हुई उनकी सुरक्षा। पति के प्रण के खातिर जिसने, छोड़ महल पति धर्म निभाया, पति सेवा ही उनको प्रिय, महलों का सुख न कभी भाया। लंकेश भी डिगा न सका जिसका शतित्व, प्रतिपल श्री राम का ध्यान लगाया, जाने क्यों तब भी लंका से आने पर, फिर श्री राम ने अग्नि परीक्षा से जी दुखाया। अग्नि परीक्षा देने पर भी, अयोध्या में  न हुआ प्रजा को विश्वास, तपस्विनी सीता मैया को फिर, निष्ठुर समय ने  पहुंचाया वनवास। कदम कदम पर समाज क्यों, लेता नारी की ही परीक्षा, भले न कर सके अपने बल से, नारी शक्ति की असुरों से रक्षा। पाकर वनवास फिर जिसने, पाए अनगिनत कष्टों के प्रहार, लव कुश के लालन पालन में, न निकली कभी मन से कहार। अश्वमेघ के अश्व की खातिर, जब श्री राम कानन में आए। सीता मैया के सामने ही, पति और पुत्र जिसके टकराए। उस पीड़ा को जाने कैसे, उस तपस्विनी ने झेला होगा, देख इस संकट को तब, भाग्य भी जाने कितना रोया होगा। तत्पश्चात भी सीता मैया को, अ...

शीर्षक:थारू समाज में युवा नेतृत्व की आवश्यकता: एक आधुनिक दृष्टिकोण

शीर्षक: थारू समाज में युवा नेतृत्व की आवश्यकता: एक आधुनिक दृष्टिकोण प्रस्तावना "जब परिवर्तन की आहट सुनाई देती है, तब समाज को दिशा दिखाने का दायित्व युवाओं के कंधों पर आ जाता है।" भारत की जनजातीय विविधता में थारू समाज एक गौरवशाली स्थान रखता है। प्राकृतिक जीवन, सांस्कृतिक सादगी और सामाजिक एकता इसकी पहचान हैं। परंतु आज के तेजी से बदलते युग में यह समाज कई सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन परिस्थितियों में थारू समाज को यदि कोई नई दिशा दे सकता है, तो वह है – इस समाज का शिक्षित, जागरूक और सक्रिय युवा वर्ग। थारू समाज की सांस्कृतिक विरासत और वर्तमान चुनौतियाँ थारू समाज का इतिहास संघर्ष, आत्मनिर्भरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य का रहा है। सदियों तक वनों और सीमावर्ती क्षेत्रों में बसने वाला यह समुदाय अब शहरीकरण, आधुनिकता और वैश्वीकरण की लहर से प्रभावित हो रहा है। फिर भी – शिक्षा का अभाव सरकारी योजनाओं की पहुंच में कमी बेरोज़गारी नशा व स्वास्थ्य समस्याएँ राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी इन सब ने थारू समाज की तरक्की की गति को धीमा कर दिया है। युवा नेतृत्व क्यों है ज़र...

SALES TARGET AND LIFE GOALS! written by Nisha Singh RanaDaughter Of Captain Surjit Singh Rana (Associate NCC Officer).

SALES TARGET AND LIFE GOALS! "The main motto of any society must be to uplift the livelihood!" What is called as a successful society? As we all know our Tharu tribe is a little backward as comparison to other tribes just because they unites when any drastic situation comes but in our tribe we don't much care for anyone. The main key feature to make the tribe upward is to be united in every radical situation. However, community is a sense of cohesiveness among a group of people in which all Tharus plays a pivotal role in the success of a functioning society. The modern approach to understand the societal success in terms of balanced life is the overall successful society which is shaped by the success of today's youth. Adolescense have to focus on the aspects that lead to more satisfying and successful life regarding different tribal functions eith emphasising on work and family. Youth towards Drug Abuse! In this contemporary time, there is a lack of job opportunities...

Sales Goals and Life Objectives! Written by Nisha Singh Rana d/o captain Surjit Singh Rana

Sales Goals and Life Objectives! Written by Nisha Singh Rana d/o captain Surjit Singh Rana Published by Naveen Singh Rana "The main objective of any society should be to improve livelihood!" What is a successful society? As we all know, our Tharu tribe is a little backward compared to other tribes. One reason for this is that other tribes unite in any critical situation, but in our tribe we do not care much about anyone. The most important key to the upliftment of the tribe is to stay united through every difficult situation. However, community means a sense of belonging among a group of people, with all Tharus playing a vital role in the success of a functioning society. According to the modern perspective, understanding social success as a balanced life is a sign of an overall successful society—which is shaped by the success of today's youth. Adolescents should focus their attention on aspects that lead to a more satisfying and successful life, emphasizing work and fam...

बिक्री लक्ष्य और जीवन के उद्देश्य written by Nisha Singh Rana d/o captain Surjit Singh Rana #Rana Tharu society #Tharu people #development #drugs #

बिक्री लक्ष्य और जीवन के उद्देश्य! Written by Nisha Singh Rana d/o captain Surjit Singh Rana  Published by Naveen Singh Rana  "किसी भी समाज का मुख्य उद्देश्य आजीविका को बेहतर बनाना होना चाहिए!" सफल समाज किसे कहते हैं? जैसा कि हम सब जानते हैं, हमारी थारू जनजाति अन्य जनजातियों की तुलना में थोड़ी पिछड़ी हुई है। इसका एक कारण यह है कि अन्य जनजातियाँ किसी भी गंभीर परिस्थिति में एकजुट हो जाती हैं, लेकिन हमारी जनजाति में हम किसी की ज्यादा परवाह नहीं करते। जनजाति को ऊपर उठाने की सबसे अहम कुंजी है—हर कठिन परिस्थिति में एकजुट रहना। हालांकि, समुदाय का मतलब है लोगों के एक समूह में आपसी जुड़ाव की भावना, जिसमें सभी थारू एक कार्यशील समाज की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार, सामाजिक सफलता को संतुलित जीवन के रूप में समझना ही एक समग्र सफल समाज का संकेत है—जो आज के युवाओं की सफलता से आकार लेता है। किशोरों को अपने ध्यान को उन पहलुओं पर केंद्रित करना चाहिए जो कार्य और परिवार पर जोर देते हुए एक अधिक संतोषजनक और सफल जीवन की ओर ले जाते हैं, खासकर अलग-अलग सामुदायिक का...

*भावुक अपील –राणा थारू समाज के एक बच्चे की आंखों की रोशनी बचाइए* 🙏🖋️By Naveen Singh Rana #Rana Tharu #help #support #Rana Tharu yuva jagrti samiti #Rana Tharu parisad #

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📢 *भावुक अपील –राणा थारू समाज के एक बच्चे की आंखों की रोशनी बचाइए* 🙏 🖋️By Naveen Singh Rana  क्षेत्र के एक निजी विद्यालय में पढ़ने वाले दसवीं कक्षा के एक छात्र के साथ अत्यंत दुखद और अमानवीय घटना हुई है। एक सहपाठी द्वारा जानबूझकर उसकी आंख में पेन घोंप दिया गया, जिससे उसकी एक आंख बुरी तरह ज़ख्मी हो गई है। इस दर्दनाक घटना की रिकॉर्डिंग स्कूल के सीसीटीवी कैमरे में भी दर्ज है। पीड़ित बच्चा आर्थिक रूप से बेहद कमज़ोर परिवार से है। शुरुआत में स्कूल प्रशासन और आरोपी छात्र के परिजनों ने इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब दोनों ही पक्ष पीछे हट गए हैं। मजबूरी में इस बच्चे का इलाज आयुष्मान कार्ड और उधार के पैसों से कराया जा रहा है, जिससे पीड़ित परिवार पर बहुत भारी कर्ज चढ़ चुका है। 💔 *क्या हम एक बच्चे की आंखों की रोशनी बचाने के लिए एकजुट नहीं हो सकते?* 💡 *आपकी छोटी सी मदद उसका भविष्य बचा सकती है।* 🙏 आइए, *हम सब मिलकर इस जरूरतमंद छात्र की सहायता करें ताकि उसका उचित इलाज हो सके और वह फिर से सामान्य जीवन जी सके।* निवेदक: राणा समाज के स्वयंसेवी संगठन 🛡 राणा थारु परिष...

Aadivaani magzine लेख सूची – शीर्षक, लेखक और विषय वस्तु #पत्रिका #अनुसूचित जन जाति #राणा थारू #

यहाँ आपके द्वारा साझा की गई 37 लेखों की एक व्यवस्थित सूची दी जा रही है, जिसमें लेख का नाम, लेखक का नाम और विषय की जानकारी दी गई है  📚 Aadivaani लेख सूची – शीर्षक, लेखक और विषय वस्तु अनुसार क्र. लेख का नाम लेखक विषय (संक्षेप में) 1 Article श्री एस.एस. पांगते जी सामान्य 2 Article श्री एन.एस. नपलच्याल जी सामान्य 3 Origin of the name Bhot and Bhotia डॉ. सत्यवान सिंह गर्ब्याल "भोट" नाम की उत्पत्ति व इतिहास 4 Bounded by Land and Loosened by Changes मिस सिमरन सिंह जौनसार-बावर: परिवर्तन और प्रवासन 5 Echo from the Mountains राहुल नौटियाल विकास और विस्थापन 6 जौनसार-बावर के पौराणिक पर्व योगेन्द्र सिंह राणा परंपरागत पर्वों की स्थिति 7 जौनसारी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति डॉ. (मिस) लीला चौहान महिला सहभागिता 8 Uniqueness of Marriage Among Tribal Community कृपा नौटियाल जनजातीय विवाह परंपराएँ 9 हर्बल खेती की संभावनाएं श्री रूपानंद नंद जोशी औषधीय खेती 10 Tribal Folklore and Oral Traditions श्री एच.आर. जोशी लोककथाएँ व मौखिक परंपराएँ 11 Byansi Shauka श्री दरवान सिंह गर्ब्याल ब्योसी शौका जन...

the poem: "A Life Beyond Goodbye"by Naveen Singh Rana #education #social #Rana Tharu #

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Introduction by the Poet For the poem: "A Life Beyond Goodbye" This poem is a humble tribute to Shri labru Singh Rana Ji, a remarkable individual whose life was devoted to the service of education and society. Though I never had the privilege of knowing him personally, the stories shared by those who walked beside him—his family, friends, and admirers—touched me deeply. Through their words, I saw a man who lived not for himself, but for others; who believed in lighting the path for generations to come, especially in the field of education and community upliftment. When I learned of his passing in 2022, I felt that such a soul deserves not only to be remembered but celebrated. This poem was created to immortalize his spirit and inspire others to follow in his footsteps. "A Life Beyond Goodbye" is more than a eulogy—it's a call to continue the work he began, to keep alive the flame of kindness, knowledge, and service he carried so nobly. If this poem s...

कविता: पिता (जयप्रकाश राणा आज के समय में राणा थारू समाज के एक उभरते युवा कवि हैं जिनकी रचनाएं यथार्थ परक और हृदय को झकझोर देने वाली होती हैं ।)

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Published by Naveen Singh Rana  जयप्रकाश राणा आज के समय में राणा थारू समाज के एक उभरते युवा कवि हैं जिनकी रचनाएं यथार्थ परक और हृदय को झकझोर देने वाली होती हैं । कविता: पिता  आसमान से बड़ा तेरा साया है तू ही है जो मुझे इस दुनिया में लाया है देखी है बहुत अदाकारी इस दुनिया में मगर सबसे अलग तूने किरदार निभाया है दो अक्षरों से मिलकर बना है मगर भाव बहुत बड़ा है तेरा हाथ है जब तक सर पे साथ जैसे भगवान खड़ा है सहता है चुपचाप सब कुछ फिर भी मुस्काता है इतना धैर्य ना जाने कहाँ से लाता है झेलता है धूप बरसात ठण्ड और आकाल भी पर कभी भूखा नहीं सुलाता है देवलोक भी जिसके चरणों में शीश नवाता है वह पुण्यआत्मा पिता कहलाता है पिता ने हाथ बढ़ाया तब मेरे कदमों को चलना आया पिता ने बिठा कर कंधों में दुनिया दारी का पाठ पढ़ाया जब जब भटकने लगा मैं मंजिल से हाथ पकड़कर सही रास्ता दिखाया पिता है तो सबकुछ है पिता है तो दुःख में भी सुख है पिता है तो हर मुश्किल आसान है पिता है तो सुरक्षित सम्मान है पिता है तो मंदिर का अर्थ है पिता है तो धरती में स्वर्ग है अगर जमीं पे खुदा है वो पिता है उज्जवल भविष्य का जो...

कविता: "मां की गोद"रचनाकार: कैप्टन सुरजीत सिंह राणाविद्यालय: ठाकुर श्याम सिंह रावत जगत सिंह रावत राधे हरि राजकीय इंटर कॉलेज, टनकपुर (चंपावत)

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कविता: "मां की गोद" रचनाकार: कैप्टन सुरजीत सिंह राणा विद्यालय: ठाकुर श्याम सिंह रावत जगत सिंह रावत राधे हरि राजकीय इंटर कॉलेज, टनकपुर (चंपावत) 🌸 कविता का भावार्थ एवं विश्लेषण: यह कविता मां की ममता, वात्सल्य, स्नेह और त्याग का अत्यंत कोमल और भावुक चित्रण करती है। रचनाकार ने बचपन की सबसे सुरक्षित, सबसे सुकूनदायक जगह – "मां की गोद" – को जीवन का पहला स्वर्ग कहा है। 🪔 मुख्य बिंदु एवं विश्लेषण: 1. मां की गोद = सारा जहां और पहला स्वर्ग > "छोटे से आंचल में सारा जहां समाया, मां की गोद में ही तो पहला स्वर्ग पाया।" 👉 यह पंक्तियाँ यह दिखाती हैं कि एक बच्चे के लिए मां की गोद पूरी दुनिया होती है। बच्चा वहीं सबसे पहले स्नेह, सुरक्षा और अपनापन महसूस करता है। 2. मां की मुस्कान = बच्चे की दुनिया > "नन्हे कदमों की जब हलचल हुई, मां की मुस्कान में सजी दुनिया नई।" 👉 जब बच्चा चलना सीखता है, तो मां की मुस्कान ही उसकी सबसे बड़ी प्रेरणा बनती है। मां की खुशी बच्चे की दुनिया बन जाती है। 3. मां की संवेदनशीलता > "नींद न आए तो वह थपकी सुनाए, आंखों...

कविता: "वो किसान जो खुद भूखा है..." भाग 1 व 2 by Naveen Singh Rana #Rana Tharu #farmers #आजीविका#

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कविता विश्लेषण और भावार्थ ✍️ कविता: "वो किसान जो खुद भूखा है..." भाग 1 व 2 ✍️ नवीन सिंह राणा 🌾 भावार्थ (अर्थ) भाग 1: यह कविता उस किसान की कथा है, जिसका नाम इतिहास की किताबों में नहीं दर्ज, और जिसकी छाया भी चुनावी वादों में नहीं होती। वह किसान, जो सूखी मिट्टी को अपनी सांसों से सींचता है, वही आज गाँव-गाँव सबसे पीछे है। उसके पसीने से धरती भीगती है, और अन्न पैदा होता है, पर उसी की झोपड़ी खाली रहती है, बच्चे भूखे होते हैं, बेटी की शादी अटकती है, और जीवन कर्जों में डूबा होता है। गर्मी, सर्दी, बारिश – हर मौसम उसके मन, तन और सपनों पर वार करता है। वो कभी बीमार होता है, कभी आत्महत्या करने की स्थिति में पहुँचता है, पर फिर भी खेती से उम्मीद नहीं छोड़ता। कविता का यह भाग किसान की मेहनत, उसकी पीड़ा, उसकी अवहेलना, और उसके संघर्ष को अत्यंत संवेदनशीलता से उजागर करता है। 🌾 भावार्थ (अर्थ) भाग 2: इस भाग में किसान की मानसिक, सामाजिक और राजनीतिक उपेक्षा पर तीखा व्यंग्य और भावनात्मक प्रश्न उठाए गए हैं। किसान कुछ दिनों के लिए "जनता" कहलाता है, फिर वह सिर्फ आंकड़ों में सिमट जात...

काव्य संवाद : "प्रेरणा की परछाईं में"

🌿 काव्य संवाद : "प्रेरणा की परछाईं में" ✍️ लेखनी: नवीन सिंह राणा के संवाद पर आधारित [निकेता:] कौन सा है ये अनुपम ऐप, जहाँ लेखों का होता माप? पढ़ा सभी ने, जान लिया, तेरे भावों का अनुपम ताप। [नवीन:] कोई ऐप नहीं, ये ब्लॉग है प्यारा, कितनों ने पढ़ा, बताता इशारा। तेरी कविता पर शब्द रचे हैं, मन के भावों को शब्दों में कसे हैं। [निकेता:] बहुत सुंदर लिखा है तुमने, अब तो कोई रोक न पाए। प्रकाशन की ओर बढ़ते क़दम, हर कोई बस वाह-वाह गाए। [नवीन:] प्रेरणा कहाँ से आती है, मैं भी नहीं जानता, पहले भी लिखा, पर खाली सा मानता। अब कुछ है जो भीतर से बोलता है, शब्दों को नए रंगों में खोलता है। [निकेता:] प्रेरणा तो है प्रकृति की गोद में, बच्चों की मुस्कान, खेत की ओस में। नदियाँ, जंगल, मिट्टी की बयार, ये सब बनते हैं कविता का आधार। [नवीन:] गीता कहती है जो न दुख से डरे, न सुख में डूबे, न पाने से फिरे। न भूत का भार, न भविष्य की चाह, क्या कहें ऐसे को, कहाँ से लाएं राह? [निकेता:] शायद समय ही उसका नाम है, या फिर वो... ! 😁 [नवीन:] हाहाहा! क्या खूब कही बात, थोड़ी सी हंसी भी है ज़रूरी साथ। वरना दर्शन की गहराई ...

लघु कथा: "चाचा के बैलों की जोड़ी"

लघु कथा: "चाचा के बैलों की जोड़ी" ✍️ लेखक: नवीन सिंह राणा  📚 शैली: ग्रामीण, भावनात्मक, यथार्थपरक 🌾 कहानी प्रारंभ गांव का नाम था बसंतपुर, गांव में बहुत सारे परिवारों के साथ ही अपने परिवार के साथ और वहाँ रहते थे रामदीन चाचा — एक सीधे-सादे, मेहनती किसान। उनकी पहचान थी उनकी सफेद बैलों की एक प्यारी जोड़ी, जिन्हें सब 'राजा' और 'रतन' के नाम से जानते थे। लेकिन गांववाले कहते थे — "रामदीन चाचा और उनके बैल एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।" और यह था भी सच। रामदीन चाचा सुबह सूरज उगने से पहले उठते, राजा-रतन को प्यार से रोटी खिलाते, फिर खेतों की ओर निकल पड़ते। बैल भी मानो चाचा की हर बात समझते हों — जब हल चलाना होता तो खुद आगे बढ़ जाते, जब पानी पीना होता तो खुद रुक जाते। चाचा उनके साथ बातें करते, हँसते, गुनगुनाते। राजा और रतन चाचा के लिए सिर्फ जानवर नहीं थे — वो उनके साथियों जैसे थे, बेटे जैसे थे। गांव के बच्चों को अक्सर चाचा कहते सुनाई देते, "इन बैलों ने मेरे साथ मिलकर ये खेत बसाए हैं, ये घर बनाया है, ये जीवन खड़ा किया है।" 🌿 एक सुबह, जो सब बदल गई... एक दिन...

कविता:चाचा के बैलों की एक जोड़ी (राणा थारू समाज के एक गांव की सत्य घटना पर आधारित ")

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राणा थारू समाज के एक गांव की सत्य घटना पर आधारित "चाचा के बैलों की एक जोड़ी "( कविता) एक बालिका जिसका नाम निकेता है उसके परिवार में एक दुखांत घटना घटती है जिससे वह इतनी आहत होती है कि वह अपने हृदय की वेदना को शब्दों में उकेरने का प्रयास करती है जो नीचे दी गई है  एक थी प्यारे सफेद बैलों की जोड़ी , जुड़े हुए थे वह चाचा से कोई प्रेम की डोरी । करते थे वह चाचा को ढेर सारा प्यार , चाचा भी उन पर करते थे ढेर सारा दुलार । वह दिन भर खेतों में जब काम करते , चाचा भी उनके साथ चलते -फिरते । कभी हल चलाते , कभी मेड़ बनाते , कभी क्यारी बनाते , कभी बाड़े लगाते । जब खेतों में थे वह फसल लगाते , उसे देख के वह सब मंद-मंद मुस्काते । इसी एक उम्मीद पर‌ कि जब फसलें लहलहायेंगीं , सारे‌ दुःख-दर्द दूर होंगे ढेर सारी खुशियां आयेंगी । एक दिन चाचा अचानक से हो गये बीमार , शरीर कमजोर होने से चलने में हो गये वह लाचार उनको ठीक करने में घरवालों ने लड़ी-लडाई , लाखों उपचारों के बाद भी,एक दिन उनको मृत्यु आई । चारों तरफ से छा गये दुःख के ढेरों बादल , आंसुओं से भीग रहे थे सब लोगों के आंचल । चाचा के आज ज...

🌺 माँ की वंदना: हे मातृ तेजस्विता वत्सले 🌺

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कविता का शीर्षक: 🌺 माँ की वंदना: हे मातृ तेजस्विता वत्सले 🌺 ✍️ नवीन सिंह राणा 🌸 भावार्थ / सारांश: इस कविता में माँ की तेजस्विता, ममता, संस्कार और जीवन में उनके अतुलनीय योगदान का वंदन किया गया है। कवि माँ को वात्सल्य, करुणा, श्रद्धा, शिक्षा और प्रेम की अविरल अमृतधारा बताते हैं। माँ के आशीर्वाद को कवि जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानते हैं, जो दुख-दर्द, पीड़ा और असमर्थता को भी हर लेती है। माँ केवल जन्मदात्री नहीं, बल्कि जीवन को ज्योति देने वाली शक्ति हैं। माँ का स्पर्श और उपस्थिति हर विकलता का समाधान है। कवि कहते हैं कि माँ के बिना संसार अधूरा है, हर गीत, हर भावना, हर प्रीति माँ की उपस्थिति से ही सजीव होती है। माँ की दी गई शिक्षा जीवन की मूलभूत नींव है, जिससे जीवन हर पग पर आगे बढ़ता है। कविता का अंतिम भाग माँ को धात्री (पोषक), अंबा (मातृरूप), वात्सल्यमयी और विशाल हृदय वाली देवी के रूप में नमन करता है। 🌟 काव्य विशेषताएँ: भाषा सरल, भावपूर्ण और गूढ़ है। छंदबद्धता और लयात्मकता सुंदर है। बिंबात्मकता: “गंगाजल शीतल”, “हर प्रीति की पुंजिता”, “हृदय अति विशाल” जैसे उपमान प्रभावी हैं। भा...

कविता: हे हिंदी प्रभा निकेतनम! ✍️ नवीन सिंह राणा

 कविता: हे हिंदी प्रभा निकेतनम! ✍️ नवीन सिंह राणा जो सुंदर कविता साझा की  गई है – "हे हिंदी प्रभा निकेतनम!" – इसका एक-एक पंक्ति का अर्थ स्पष्ट रूप में नीचे दिया जा रहा है। 1. हे हिंदी प्रभा निकेतनम! हे भाषा विद्या निकेतनम! ➤ हे हिंदी ज्ञान की चमक की निवास स्थली! हे भाषा और विद्या का घर! 2. अनिकेत तुम, हिंदी निकेतनम। ➤ तुम सीमाओं से परे हो, फिर भी हिंदी के रूप में एक विशेष आश्रय हो। 3. ज्ञान की वाहिनी, अनुशंसा प्रवाहिनी, ➤ तुम ज्ञान की धारा हो, और श्रेष्ठता की प्रेरणा देने वाली हो। पं क्ति "ज्ञान की वाहिनी, अनुशंसा प्रवाहिनी," का भावार्थ है: "तुम ज्ञान को वहन करने वाली हो और श्रेष्ठ विचारों की सतत धार बहाने वाली हो।" शब्दार्थ: ज्ञान की वाहिनी: ज्ञान को धारण करने वाली, उसे फैलाने वाली। अनुशंसा प्रवाहिनी: उत्तम विचारों, गुणों या आदर्शों की निरंतर धारा प्रवाहित करने वाली। भावार्थ (विस्तार से): यह पंक्ति किसी हिंदी भाषा के आश्रय स्थल  की स्तुति में कही गई है। वह ज्ञान की संवाहक है — लोगों को शिक्षित करती है, सोचने की दिशा देती है। साथ ही वह उत्तम बातों (अनुशंसा...