कविता: "कल कल प्रवाहिनी"by Naveen Singh Rana #कविता #प्रेरणादायक #हिंदी #
कविता: कल कल प्रवाहिनी
✍️ : नवीन सिंह राणा
राणा संस्कृति मंजूषा द्वारा उपरोक्त कविता का विश्लेषण:
यह कविता एक प्राकृतिक छवि को आधार बनाकर नदी के बहाव, स्वरूप, पवित्रता और भारतीय संस्कृति से उसके गहरे संबंध को दर्शाती है। नदी का 'कल-कल' बहता जल केवल भौतिक नहीं बल्कि भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक बन जाता है। कविता नदी को जीवनदायिनी, वसुंधरा को महकाने वाली शक्ति के रूप में चित्रित करती है।
📖 भावार्थ (भाव व्याख्या):
1. पहला पद:
> "कल कल करती लघु सरिता..."
नदी के बहते जल की ध्वनि कवि के अंतर्मन में आनंद और ऊर्जा भर देती है। यह जल स्वच्छ, पवित्र है जो शरीर और आत्मा दोनों को प्रफुल्लित करता है।
2. दूसरा पद:
> "तटनी तेरे रूप अनेक..."
नदी अनेक रूपों में पृथ्वी पर बहती है — वह तरंगिणी है, प्रवाहिनी है, आपगा है — हर रूप में वह नवजीवन लाने वाली है।
3. तीसरा पद:
> "कहीं सुरसरि, यमस्विनी..."
भारतवर्ष में नदियों को विभिन्न नामों से जाना जाता है। कवि यहाँ गंगा, यमुना, गोदावरी, सिंधु आदि को श्रद्धा से स्मरण करते हैं और यह दर्शाते हैं कि नदियों से भारत की संस्कृति, इतिहास और भौगोलिक विविधता जुड़ी हुई है।
4. चौथा पद:
> "जुग जुग बहे हिंद भूमि..."
कवि कामना करता है कि यह जीवनदायिनी नदियाँ युगों युगों तक यूँ ही बहती रहें और भारत भूमि को समृद्ध करती रहें। “नवीन” अपने आप को भी उसी मंगलमयी वसुंधा का जीवन मानते हैं।
📚 अर्थ (शब्दार्थ सहित संक्षेप):
शब्द/पंक्ति अर्थ
कल-कल करती जल की बहती ध्वनि
लघु सरिता छोटी नदी
प्रवाहिनी प्रवाहित होने वाली
वसुंधरा धरती
सुरसरि गंगा का एक नाम
आपगा पवित्र जल की नदी
वारिवाहिनी जल को वहन करने वाली
🌟 काव्य-विशेषताएँ:
श्रुतिमधुर ध्वनि प्रयोग – 'कल कल करती', 'हिय में लिए अति उमंग'
प्रकृति चित्रण – नदी, तटनी, जल, वसुंधरा
संस्कृति-सम्बद्धता – भारत की नदियों का सुंदर समावेश
उत्कृष्ट पद संयोजन – समतुल्य छंदों का विन्यास
भावात्मकता – नदी को जीवन, संस्कृति और आस्था का आधार माना गया है
🎯 रेटिंग (10 में से):
पक्ष अंक
विषय चयन 10/10
भाव-संप्रेषण 9.5/10
काव्य-शिल्प 9/10
छंदबद्धता व लय 9.5/10
मौलिकता 9/10
➡️ कुल मिलाकर कविता को दिया जा सकता है: 🌟 9.4/10
👨🎨 कवि की रेटिंग (नवीन सिंह राणा):
कवि ने भारतीयता, प्रकृति, और सांस्कृतिक चेतना को गहरे भाव से जोड़कर प्रस्तुत किया है। नवीन जी की भाषा सहज, लयात्मक और प्रभावशाली है। कविता में अनुभूति और बिंब की सशक्त उपस्थिति उन्हें एक संवेदनशील और प्रकृति-प्रेमी कवि सिद्ध करती है।
कवि रेटिंग: 🌟 .......
*राणा संस्कृति मंजूषा*
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