**"समाज की प्राथमिकताएँ: बाहरी मुद्दों से पहले आंतरिक समस्याओं पर चिंतन आवश्यक"**


**"समाज की प्राथमिकताएँ: बाहरी मुद्दों से पहले आंतरिक समस्याओं पर चिंतन आवश्यक"**
:नवीन सिंह राणा 

यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि हमारे समाज के लोग अब अपनी क्षेत्रीय समस्याओं से ऊपर उठकर देश, धर्म, और सरहदों की समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि समाज का विचारशील वर्ग अब राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी सोचने लगा है। लेकिन, इस पूरे परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है: क्या हम अपने समाज की मूलभूत समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं? क्या हमारे समाज के लोग उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिनसे सीधे तौर पर हमारी सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक स्थिति प्रभावित हो रही है?

हमारा राणा समाज, जो वर्षों से एक विशिष्ट पहचान और गौरवपूर्ण विरासत का ध्वजवाहक रहा है, आज अपने ही धर्म के लोगों द्वारा शोषित हो रहा है। हमारी जमीनें छीनी जा रही हैं, सम्मान लूटा जा रहा है, और रोजगार के अवसरों से हमें वंचित किया जा रहा है। इसके बावजूद, हम केवल यह कहने में व्यस्त हैं कि हमें खतरा अन्य धर्म के लोगों से है। यह विडंबना है कि जब हमारे अपने लोग ही हमारे अधिकारों का हनन कर रहे हैं, तब भी हम बाहरी खतरों पर अधिक चर्चा कर रहे हैं।

ऐसे मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है, परंतु हमें यह भी समझना होगा कि यदि हम अपने समाज के भीतर की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए, तो बाहरी समस्याओं से निपटना व्यर्थ होगा। हमारे अपने खेत, खलिहान, और रोजगार हमारे अपने धर्म के लोगों द्वारा छीने जा रहे हैं, फिर भी हम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बात कर रहे हैं। यह सवाल उठता है कि क्या हम उन मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो वास्तव में हमारे समाज को प्रभावित कर रहे हैं?

यह सच है कि देश, धर्म, और सरहदों के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। परंतु यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि हम अपने समाज की आंतरिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करें। हम इन बड़े मुद्दों में सीधे तौर पर कुछ खास नहीं कर सकते। हम केवल सोशल मीडिया पर पोस्ट्स वायरल कर सकते हैं, लेकिन इससे समाज की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा। इसके विपरीत, यदि हम अपने समाज की समस्याओं पर विचार करें और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाएं, तो निश्चित रूप से हमारे समाज का भला हो सकता है।

हमें यह समझना होगा कि देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारे समाज के प्रति है। लेकिन यदि हम अपने घर की आग को बुझाए बिना बाहर की समस्याओं पर ध्यान देंगे, तो अंततः हम दोनों मोर्चों पर विफल हो सकते हैं। हमें बाहरी मुद्दों पर विचार करने से पहले अपने समाज के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए, ताकि हम एक सशक्त समाज बना सकें, जो बाद में देश और धर्म की सेवा में भी सक्षम हो।

इसलिए, हमारे ग्रुप में केवल बाहरी समस्याओं जैसे  रोहिंग्या, अन्य धर्मों या राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय, हमें अपने समाज की समस्याओं पर भी गहराई से चिंतन करना चाहिए। इससे हमारे समाज के लोग जागरूक होंगे और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। 

इस विचार को अपनाकर हम एक सशक्त और संगठित समाज का निर्माण कर सकते हैं, जो देश और धर्म की सेवा करने के लिए भी सक्षम हो।
धन्यवाद

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