ब्रह्मांड का यह नीला मोती :कविता
ब्रह्मांड का यह नीला मोती
:नवीन सिंह राणा
ब्रह्मांड का यह नीला मोती,
धरती हमारी प्यारी है अनमोल,
हरियाली, झीलें, नदियाँ, पर्वत,
सागर जहां,वसुंधरा है गोल गोल।।
पर्वतों की गोद में बहती नदियाँ,
जिनकी जलधारा से संवरता जीवन
पेड़-पौधों की हरीतिमा से प्रतिपल
प्राणवायु मिलती है हर दिन।।
परंतु हमने क्या किया स्वार्थ में,
अपने ही घर को ख़ुद ही नष्ट किया,
कटते पेड़, सूखती नदियाँ, घुटती हवा
बिना सोचे समझे जीवन कष्ट किया।।
जहरीली गैसों से भरता आसमान,
जल भी अब पेय नहीं रहा।
वन्य जीवों का आश्रय छिन ता
धरती पर जीवन का संतुलन बिखर रहा।।
उठो और अब लेते हैं प्रण,
धरती को फिर से हरियाली से भर देंगे।
साफ करेंगे हवा, पानी और मिट्टी,
हम नया जीवन प्रकृति को देंगे ।
बचाओ पानी, बूंद-बूंद कीमती
जल स्रोत का संरक्षण है जरूरी,
स्वच्छता अपनाओ, प्रदूषण हटाओ,
जीवन को संवारो, क्या मानव है मजबूरी।
हम सब मिलकर चलेंगे आगे,
एक नए युग की शुरुआत करेंगे।
प्रकृति के साथ फिर से जुड़ कर
जीवन को साकार करेंगे।
हवा, जल, भोजन की शुद्धता,
सब मिलकर हम बनाएंगे,
हमारी धरती फिर से बने स्वर्ग
प्रकृति को सजाएंगे।
आज हम संकल्प लेते हैं,
प्रकृति का संरक्षण ही उपकार
आने वाली पीढ़ियों को देंगे,
एक हरा-भरा, सुंदर संसार।
जागो, उठो, कदम बढ़ाओ,
धरती को खुशियों से भर दो
प्रकृति का साथ दो निरंतर
जीवन को नया रंग दो।
मिल कर करते हैं आह्वान,
धरती का संरक्षण, उत्सव मनाएं,
प्रकृति का हर उपहार संभालें,
धरती को फिर से स्वर्ग बनाएं।
हमारी धरती, हमारी जिम्मेदारी,
आओ पूरी ईमानदारी से इसे निभाए
जीवन को खुशहाल बनाएं,
प्रकृति के संग नया संसार सजाएं।
साथ मिलकर कदम बढ़ाएं,
धरती को बचाने के लिए हम सब आएं।
प्रकृति का आंचल फिर से महकाएं,
धरती को स्वर्ग हम बनाएं।
आओ मिलकर मनन करें, विमर्श करें,
आज फिर कुछ हृदय स्पर्श करें।
जल, जीवन, प्रकृति सब कुछ है खतरे में,
हम सब मिलकर इसे बचाने का प्रण करें।
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