"आलोचना और असलियत"(एक सत्य को प्रदर्शित करती कविता)
आलोचना और असलियत"
नवीन सिंह राणा की 🖋️ से
लोग हमारे अच्छे काम में कमी क्यों निकालते हैं,
शायद उन्हें हमारे संघर्ष का एहसास नहीं होता।
हमारे पसीने की बूँदों का मूल्य नहीं समझते,
हर कदम पर आलोचना का नया परचम हैं लहराते ।
कभी हमारी मेहनत को सराहना नहीं मिलती,
कभी हमारी लगन को तारीफ नहीं मिलती।
हमारे प्रयासों को वे सदा गलत ठहराते हैं,
हर उपलब्धि को तुच्छ नजरों से बैठाते हैं।
शायद यह उनकी सोच का एक हिस्सा है,
शायद यह उनकी असुरक्षा का प्रतिबिंब है।
जो खुद कभी ऊँचाइयों तक नहीं पहुँच पाते,
वे दूसरों की सफलता में कमी निकालते है जाते ।
पर हमें न रुकना है, न हार माननी है,
इन आलोचनाओं से हमें न हताश होना है।
अपने रास्ते पर दृढ़ता से चलते जाना है,
सच्ची लगन और मेहनत से मंज़िल पाना है।
क्योंकि अंत में हमारे काम की चमक बिखरेगी,
हर आलोचना की आवाज खुद-ब-खुद थमेगी।
जब हम सफलता की ऊँचाइयों को छू लेंगे,
तब हर कमी निकालने वाले को उत्तर मिलेंगे।
धन्यवाद
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