क्यों जानना जरूरी है मंच के बारे में यह भी?
राणा थारू युवा मंच संबद्ध राणा थारू युवा जागृति समिति के बारे मे कुछ मेरे अनुभव आप सभी के साथ शेयर करने का प्रयास कर रहा हूं आशा है आप सभी को कुछ जानकारी प्राप्त होगी।
राणा थारू युवा मंच प्रारंभ से अब तक
Written and edited by Naveen Singh Rana
मुझे वह दिन याद है । शायद उस समय मुझे यह पता नहीं था कि जिस यात्रा पर मै निकलने वाला हूं वह यात्रा मुझे यहां तक ले आयेगी। बहुत सारे उतार चड़ाव इस यात्रा में आए।, बहुत कुछ पाने की लालसा में कभी कभी बहुत कुछ खोना भी पड़ जाता है ऐसा मैंने पहले कभी सोचा नहीं था। मै अन्य लोगों की तरह ही व्यस्त था अपनी नौकरी और घर परिवार की उधेड़ बुन में। खुश था क्योंकि उस समय मेरी खुशी का पैमाना सिर्फ मेरा परिवार था । मुझे न तो समाज की चिंता थी न किसी संघठन की। न किसी सदस्य के रूष्ट होने की चितां थी और न किसी संघठन को मजबूत बनाकर उसे मुकाम तक ले जाने की चिंता। न समिति द्वारा संचालित बायलॉज और संचालित कार्यक्रमों की चिंता थी और न हर महीने समिति को मजबूती देने हेतु मासिक सहयोग देने की।
लेकिन एक दिन, जेठ माह की तेज तर्रार लू और तपती गर्मी में कुछ राणा थारू समाज के समाज सेवी मेरे घर पर उपस्थित थे मुझे किसी मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाने हेतु, शायद मै उनको इतने करीब से नहीं जानता था इसलिए इतना इंट्रेस्ट उन पर मुझे नहीं था आम आवभगत के बाद मैंने उन्हें विदा किया। मै उससे पहले कभी भी इस तरह की मीटिंग में शामिल नहीं हुआ था इसलिए मैंने जाने से मना कर दिया, हमारी मां और पिता जी के कहने पर, कि बेचारे इतनी गर्मी में आए हैं उनका मान रख कर मीटिंग में जाना चाहिए।
वह दिन करीब आया, मुझे थारू विकास भवन में जाना था। मीटिंग में शामिल हुआ, बड़े बड़े लोग, बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे, तमाम प्रश्न मेरे मन में थे पर हिम्मत करके कुछ प्रश्न ही पूछ पाया। और फिर धीरे धीरे इन मीटिंग का सिलसिला चल पड़ा। और यही पर मुझे पता चला कि जो दोनों में से एक बुजुर्ग आदमी मेरे घर आया था वह राणा थारू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष श्री गोपाल सिंह राणा चांदा थे। और दूसरे कोई अध्यापक थे। और मुझे बुलाने के लिए स्वर्गीय लबरू सिंह राणा जी जो तत्कालीन समय में शिक्षा विभाग में कार्यरत थे।
श्रीमान जी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया, हर जगह उन्होंने मुझे आगे लाने का पूरा प्रयास किया, विभाग में आगे बढ़ने हेतु भी सपोर्ट करते रहते थे। समाज को लेकर वे मेरे गुरु हैं शायद उनका मार्गदर्शन न मिला होता तो मुझे समाज की कोई समझ नहीं होती, और न समाज को समझने के लिए एक इतना बड़ा कारवां होता।
जब तीसरी मीटिंग का आयोजन हुआ तब तक मै काफी हद तक लोगों की मानसिकता समझने का प्रयास कर रहा था। इसी दौरान मैंने एक whatsup group
बनाया जिसका नाम रखा “राणा थारू समाज का चिंतन” । यह बहुत प्रसिद्ध चैनल बना, लोग इसमें जुड़ना और जानकारी प्राप्त करना पसंद करते थे।
मुझे उस दौर में भी टूटी फूटी तुक बन्दी करना पसंद था जैसा आज भी कभी कभी करने पर लोग नाराज हो जाते हैं। शायद यह भी ऐसा नशा है जिसे हर कोई पसंद नहीं करता।
चंद लाइनें उस कविता की मुझे याद है जो महाराणा प्रताप जी के हल्दी घाटी युद्ध के चित्रण पर आधारित थी। जिसके बाद मनोज जी से मुलाकात हुई, इनकी मुलाकात मैंने श्रीमान जी से कराई और फिर वह दिन मुझे याद है जब समाज के सबसे बरिश्ठ जन व माननीय जी के निवास स्थान पर हम लोग बैठे जिसमे सम्मानित महोदय और उनकी टीम के साथ आमने सामने मनोज जी और मै। लंबी वार्ता के बाद जो हुआ, जो निर्णय लिया गया बहुत ही अच्छी पहल थी। लेकिन उस समय कोई करवा नहीं था कोई लोग नहीं थे। लेकिन शायद अब किसी को वह अहसास नहीं, जिस दौर से हमने सुरुआत की थी।
मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि दीपावली के बाद अर्थात 17 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2017 तक दीपावली थी उसके बाद 22 अक्टूबर 2017 को नोसर गांव में मीटिंग होगी जिसमे सभी लोग उपस्थित होकर चिंतन मनन करेंगे। मनोज जी के उत्साह को दाद देनी पड़ेगी कि दीपावली क्या होती है सब भुला कर ,मीटिंग में कराएंगे क्या इस उधेड़ बुन में बहुत सारे वरिष्ठ जनों से मिलकर कुछ बिंदु तैयार किए, मै आज भी लिखता हूं और पहले भी लिखता था यह अनुभव काम आया।10 बिंदुओं का एक पर्चा तैयार किया गया जिसके आधार पर इन लोगों को वहां बुलवाना था।
22 अक्टूबर 2017 का दिन, स्थान नोसर पटिया मनोज जी के घर के पीछे की आम की बगिया, जो मीटिंग करने के लिए चयन किया गया था, मैंने तब तक नोसर गांव भी नहीं देखा था, उपेन्द्र जी के साथ हम शॉर्ट कट रास्ते से सुबह 8बजे के लगभग मनोज जी के गांव में थे, मेरे घर से शायद 25 से 30 किलोमीटर दूर होगा। मनोज जी ने उस आम के बगीचे को कुछ साफ करा दिया था बाकी हम तीनों ने मिलकर कुछ और साफ किया और दरी लगाकर बैठने की व्यवस्था बना दी।
10 बजे से महामहिम सम्मानित लोगों का आना आरंभ हुआ, बड़ा आश्चर्य था कि आज लोग वहां उपस्थित होकर अपने अनुभवों व विचारों को रख रहे थे। इस मीटिंग में सर्व प्रथम हमारे सम्मानित सुरजीत सिंह राणा प्रवक्ता, पीसीएस श्री कुलदीप सिंह राणा, श्री जय प्रकाश राणा शामिल हुए जो आगे चलकर इस समिति को मजबूती प्रदान करने और आगे बढ़ाने में विशेष योगदान रहा।3 बजे तक सभी सम्मानित लोगों ने जिनका नाम मै अंकित नहीं करना चाहता अपने अपने अनुभवों को साझा किया। और इस बिंदु के साथ मीटिंग का समापन हुआ कि अगली मीटिंग अब कहां सम्पन्न होगी।
यह दुनिया का दस्तूर है कि धीरे धीरे लोग आपके काम को भुला देंगे, वे जिस प्लेटफार्म पर आज खड़े है , उस स्थान को बनाने में किसने क्या योगदान दिया यह सब बीते समय की बात होती हैं। लेकिन इस पर कहा भी क्या जा सकता है। यहां तो आज यह स्थिति है कि जिन बच्चो को पाल पोसकर बड़ा करते हैं उनके बड़े होने पर कुछ कह नहीं सकते।
दूसरी मीटिंग अपने नियत समय पर आयोजित हुई माह नवम्बर का पहला रविवार, स्थान पहनिया गांव की आम की बगीचा, प्राथमिक विद्यालय के पास। चंद लोग ही उपस्थित हुए और बिना निष्कर्ष के आगे कोई भी मीटिंग आयोजित नहीं हो पाई।
मनोज जी ने कहा चलो एक नया कारवां बनाते हैं युवाओं का, और कॉलेज के युवाओं को बैठक में आमन्त्रित किया। पहली बैठक में 35 से 40 युवा
आगे जारी है.............
राणा
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Published by Naveen Singh Rana