संघठित होने की आवश्यकता: चिंतन
" जैसा कि आप सभी अवगत हैं कि राणा थारू युवा जागृति समिति समाज के सभी संगठनों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए उनसे कुछ बेहतर चीजे सीखते हुए आगे बढ़ रहा है ऐसे ही एक और बहुत ही प्रेरणा दायक लेख आप सभी के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है जिसेप्रदीप कुमार चौधरी उ पाध्यक्ष था रू जनजागृति सेवा संस्थान,महराजगंज। द्वारा लिखा गया है वाकई में बहुत ही प्रेरणादायक है जो इस प्रकार है
"स मय से आगे की सोंच "
जगत में कुछ ऐसे मनीषी होते हैं जिनके दूरदर्शिता पूर्ण सोंच और PROACTIVE कार्य से जगत का कल्याण सम्भव होता है,मनीषियों की सोंच सदैव संकीर्णता की आवरण में सीमित नहीं होता, न ही मनीषी संकीर्णता से प्रभावित होकर कार्य करता है,उसका श्रेष्ठ कार्य " सर्वे भवन्तु सुखिनः " की अवधारणा का प्रतिनिधित्व करता है।
कोई भी समाज जब जब संकटों में घिरता है, उसके अस्तित्व पर संकट के बादल बनकर मंडराता है,उसे किसी अनजान गहरे कूप की ओर PUSH UP करने की दुष्चेतता रखता है उसे अंजाम देने की निरंतर उद्यमरत होता है तो इन बिकट परिस्थितियां विराट ब्यक्तित्व,महापुरुष पैदा करता है,एक श्लोक है " यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत,अभ्युतथानं अधर्मस्य तदात्मानं सृजा म्यहम " इस श्लोक का उद्धरण मैं समझता हूं कि अतिशयोक्ति नहीं है, इसका आशय ही यही है,जब लोग संकट में होते है तो देव संकट निवारण के लिए उत्पन्न होते है। यह पंक्तियां यूँ ही नही लिपिबद्ध किया जा रहा है। महराजगंज का प्रखर वक्ता,लोगों के संकट में होने और उनके करुण पुकार को सुनकर हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके उनके अपने लोगों के पहुंचने न पहुंचने की परवाह किये बिना उन मजलूमों क न्याय के लिए डटकर सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़ा होने वाला निश्चितरूप से उल्लिखित श्लोक को सार्थक करता है। जैसा कि समय से आगे की सोंच रखते हुए ,आज की अपने अस्तित्व,अधिकारों को संरक्षित करने के लिए अपने समुदाय की एक राजनीति पार्टी का होना अपरिहार्य हो गया है ,जैसा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने सुझाव दिया है, अभी इसका नियमावली वाट्सएप पर प्रदर्शित है बुद्धिजीवियों से मार्गनिर्देशन मांगा गया है कि इसके गठन के लिए क्या क्या आवश्यकताएं हैं,इसके लिए कैसे INITIATE करें, इस पर ध्यान देने के बजाय बिचार विमर्श का पथ ही भटक गया, अब मैं भटके हुए विमर्श को पढ़कर देखकर अपना माथा फोड़ू की सर।
मेरे समाज के बुद्धिजीवी श्रेष्ठ या अनुज, जब भी कोई पोस्ट आप पढ़े,किसी की भी हो उसे छोटा न समझें वरन अपने विनीत बौद्धिक क्षमता का परिचय देते हुए पथ प्रदर्शन करते हुए उद्देश्य को पूर्णता प्रदान करने में सहयोग दें,ये कार्य अच्छाई की ओर ले जाएगा,कल्यणकारी होगा,आपसी आंतरिक संघर्ष से बचाव भी होगा।
अभी तो सोनभद्र जनपद में ही दो विधायक की सीट आरक्षित है पहली बात तो ये है कि हमें मिलकर आपसी एकता की ताकत का प्रदर्शन करके या तो दो सीट से अधिक आरक्षित करने के लिए आवाज बुलंद करना होगा अगर सीट न बढ़ सके तो सोनभद्र से एक सीट लेने की कोशिश करनी होगी कि उसे थारू जन जाति बाहुल्य क्षेत्र के लिए आरक्षित की जाए, जो पलिया विधान सभा,लखीमपुरखीरी,गैसड़ी विधान सभा बलरामपुर हो सकती है, थारू समुदाय को आंख में सुरमा डालकर साफ करके दिव्य चक्षु खोलकर देखने की जहमत उठानी पड़ेगी की यहाँ अन्य वोटर्स की संख्या थारू वोटर्स से बहुत कम हैं ,थारुओं का वोट निर्णायक है अगर थारू एकमत होकर किसी लूले,लंगड़े को भी चाहे तो भारी मत से विजय श्री का माला पहनाकर संसद,विधान सभा में थारुओं की आवाज गूंजने के लिए पंहुचा सकते हैं, ये बातें अभी तक किसी के जेहन में नहीं है हम ऐरे गैरे को अपना कीमती और निर्णायक वोट देकर उसे ताकतवर बना देते हैं और वही हमारे एहसानों से रसूखदार बना हमारे ऊपर ही भेदभाव की दृष्टि रखता है।
इन्ही सब परिस्थितियों का आकलन करते हुए अपनी राजनीतिक पार्टी के गठन का प्रताव रखा गया है,इसके गठन के पश्चात ही इस बात का निर्णय खासकर पलिया और गैसड़ी के अपने थारू भाइयों के ऊपर जिम्मेदारी होगी कि वो किसको अपना रहनुमा मानते हैं कौन उनके संकट का साथी है कौन उनके स्वाभिमान,अस्मिता का रक्षक है।
मेरे भाइयों अभी ये प्रस्ताव है, भ्रूणावस्था में है अभी सभी लोगों के सहयोग की अपेक्षा है,ड्राफ्ट तैयार होगा रजिस्ट्रेशन होगा जिसमें हजारों का ब्यय होगा अभी तो हम सबको मिलकर इस संभावित राजनीतिक पार्टी को मूर्त रूप लेने के लिए कार्य को अंजाम देना होगा, अगर सभी थारू भाइयों की आपसी समझदारी दूरदर्शिता, सामंजस्य एक बड़े कैनवास पर अपने तथा अपने समुदाय को स्थापित करने का अभीष्ट सर्वोपरि होगा तो यह कार्य भी अवश्यम्भावी है होकर रहेगा।
जय थारू समाज,जय मूलनिवासी।
आपका शुभेच्छु
प्रदीप कुमार चौधरी
उपाध्यक्ष
थारू जनजागृति सेवा संस्थान,महराजगंज।
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संकलन कर्ता
नवीन सिंह राणा