एक मजबूत संघठन कैसे बनाएं: चिंतन

 हर समाज के लिए , उसकी व्यवस्था बनाने के लिए, उसको आगे बढ़ाने के लिए, उस समाज के अस्तिवत्व को बनाए रखने के लिए एक मजबूत संघठन की जरूरत होती है इन्ही बिदुओं पर विचार करते हुएप्रदीप कुमार चौधरी उपाध्यक्ष थारू जन जागृति सेवा संस्थान,महराजगंज जी ने कुछ अपने अनुभव व्हाट्सअप ग्रुप में शेयर किए जो मुझे पसंद आय और मैने उन्हें आपके समक्ष प्रस्तुत किया है वाकई में विचारणीय है जो इस प्रकार हैउन्हीं के शब्दों में 

""बिहार का ये " भारतीय थारू कल्याण संघ,हरना तांडव का गठन साल 1973 में संभवतः हुआ था, जब इस कल्याण ससंघ का गठन हुआ था उस समय इसने समाज के उत्थान के लिए जो उद्देश्य और एजेंडा बनाया था वो अत्यधिक चुनौतीपूर्ण था लेकिन इस संघ अपने मजबूत लक्ष्य और बुद्धिमत्ता सांगठनिक क्षमता का परिचय देते हुए सबसे प्रमुख उपलब्धि अपने को जनजाति घोषित करवाना रहा,ये उपलब्धि इन्हें रातों रात नहीं मिली बल्कि साल 1973 से संघर्ष करते हुए ये साल 2003 में प्राप्त हुए,इस संगठन कज सबसे खास बात ,दूरदर्शितापूर्ण नेतृत्व ये रहा कि इन्होंने कभी चक्का जाम, पब्लिक को परेशान करने वाली कोई आंदोलन नहीं किया।

    ये संगठन निरंतर अपने समाज को एकजुट करने का कार्य किया, गांव गांव में छोटी छोटी यूनिट बनाकर उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से जोड़ा,साल में एक बार समन्वित रूप से सेमिनार का आयोजन का कार्यक्रम निर्धारित किया, सारी इकाइयां एक केंद्र पर एकत्रित होती है,सभी अपना अपना लेखा जोखा शीर्ष नेतृत्व को पूरी जिम्मेदारी ,ईमानदारी के साथ ऑडिट कराते हैं,समाज में अच्छी ब्यस्था ,अच्छी मान्यताएं स्थापित करने,मंथन करने के लिए विमर्श में पूरी शिद्दत से भाग लेते हैं बीच बीच में अपने समाज के सांस्कृतिक आयोजन के द्वारा सेमिनार को जीवंत करते चलते हैं।

     अभी आप इस पोस्ट में इनके इस आसन्न होली के त्योहार के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन को इनके समाज हित की भावनाओं को समझ सकते हैं।

      मैं हमेशा से यही कहता हूँ संगठन का यही दायित्व है अपने अधिकारों के लिए संघर्षशील होने के साथ ही साथ हमें अपने समाज में ब्याप्त सामाजिक सरोकारों पर भी यदा कदा बिचार विमर्श करते रहने की जरूरत है जिससे हम समाज में हो रहे बदलावों पर पैनी नजर रख सकें और हमें लगता है कि समाज एक ऐसी दिशा में जा रहा है जो हमारे मूल्यों आदर्शों के मानदंड की कसौटी पर उत्कृष्ट बर्तमान में जो बुद्धिजीवी होने के एहसास से समृद्ध हैं उनकी पूरी जिमनेदारी बनती है कि संगठन द्वारा आयोजित संगोष्ठी में भागीदारी का निर्वहन करते हुए बैचारिक विमर्श के द्वारा संगठन की अगुयायी में समाज को बेहतर दिशा में ले जाने का कार्य करे। 

        बिहार का कल्याण संघ निश्चित रूप से समाज के कल्याण के लिए बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है, प्रत्येक अवसर पर सामाजिक सरोकारों पर परिचर्चा करके लोगों में आम राय बनाने की कोशिश,तथा त्योहारों पर उनकी अपचिंतन बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है और लोग इसे अच्छे ,सुब्यवस्थित भाईचारे ,स्नेहपूर्ण त्योहारिक वातावरण बनाने में सफल होते हैं और त्योहार के अवसर पर एक दूसरे के प्रति सौहार्दय पूर्ण माहौल समाज में बन जाता है और अतीव खुशियों के रंग से सराबोर कर देता है ।""


प्रदीप कुमार चौधरी

उपाध्यक्ष

थारू जन जागृति सेवा संस्थान,महराजगंज।

आपका हार्दिक आभार प्रदीप कुमार चौधरी जी आशा है हमारे थारू समाज के लोग इस लेख को पढ़कर जरूर विचार करेंगें। धन्यवाद

संकलन कर्ता

नवीन सिंह राणा 



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