*"कालू बर्दिया बाबा (खलु बिरतिया):दया और शक्ति का अद्वितीय संगम की महानता की गाथा भाग 3
कालू बर्दिया बाबा: दया और शक्ति का अद्वितीय संगम"**
नवीन सिंह राणा की कलम से (लेखक द्वारा बचपन में उनके दादा जी से सुनी गई लोक कथाओं पर आधारित कहानी)
उस दिन जब कालू बर्दिया बाबा अपनी धीमरी* में पानी भरकर खेत की तरफ बढ़ रहे थे, उन्हें रास्ते में एक नट जादूगर मिला। जादूगर को शरारत सूझी और उसने अपने जादू से धीमरी का पानी गिराना शुरू कर दिया। जब बाबा जी अपने खेत पहुंचे, तो देखा कि सारा पानी गिर चुका था। यह देखकर उन्हें बहुत बुरा लगा और उन्होंने तुरंत समझ लिया कि यह जादूगर की करतूत है।
अपनी दिव्य दृष्टि से उन्होंने देखा कि जादूगर ने अपने बेटे की गर्दन काट कर उसे जादू के खेल में शामिल कर रखा है। बाबा जी ने अपनी शक्ति से जादूगर के बेटे की आत्मा को कैद कर लिया। जब जादूगर ने खेल समाप्त किया और देखा कि उसका बेटा जीवित नहीं हुआ, तो वह घबरा गया। उसने अपने गुरु को याद किया और गुरु ने उसे सलाह दी कि वह कालू बर्दिया बाबा से माफी मांग ले, वरना परिणाम गंभीर हो सकता है।
रोता-बिलखता जादूगर बाबा जी के पास पहुंचा और उनसे माफी की भीख मांगने लगा। कालू बर्दिया बाबा, जो कि एक दयालु और नेक दिल इंसान थे, ने उसकी माफी स्वीकार कर ली और जादूगर के बेटे की आत्मा को मुक्त कर दिया। जादूगर का बेटा फिर से जीवित हो गया।
इस घटना ने जादूगर को गहरा सबक सिखाया। उसने न केवल अपनी शरारतों से तौबा की बल्कि बाबा जी की महानता और दयालुता को भी समझा। आज भी राणा थारू समाज कालू बर्दिया बाबा की पूजा करता है और कोई भी कार्य पूर्ण करने की मन्नत से पहले उन्हें स्मरण करता है, उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है।
कालू बर्दिया बाबा का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची शक्ति और महानता केवल अद्वितीय क्षमताओं में नहीं, बल्कि दया, करुणा और क्षमा में भी निहित होती है। उनका जीवन और उनके कार्य आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं और उनकी स्मृतियाँ समाज में सम्मान और श्रद्धा के साथ जीवित हैं।
धन्यवाद
नोट
धीमरी: बांस नामक लकड़ी की पतली पतली खप्चिओं से बनी वस्तु,जिसका उपयोग वे कई कार्यों में करते थे।
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