कालू बर्धिया (खलु बिरतिया): आस्था, शक्ति और महानता की गाथा भाग 2

कालू बर्धिया (खलु बिरतिया): आस्था, शक्ति और महानता की गाथा भाग 2
:नवीन सिंह राणा की कलम से ( लेखक द्वारा अपने बचपन में दादा जी के द्वारा सुनाई गई गाथा जो स्मृतियों में छिपी थी को आप सभी को अवगत कराने का प्रयास मात्र है)

कालू बर्दिया बाबा, राणा थारू समाज के एक प्रतिष्ठित और अद्वितीय शक्ति वाले व्यक्ति थे, जिनकी महानता के किस्से आज भी लोगों के दिलों में जीवंत हैं। यह कहानी उनके जीवन की एक घटना को उजागर करती है, जो न केवल उनकी शक्ति बल्कि उनकी उदारता और महानता को भी दर्शाती है।

#### **प्रकृति की गोद में**
वह एक सजीव सुबह थी, जब सूर्य की किरणें हल्की धुंध को चीरती हुईं हरी-भरी धान के खेतों में बिखर रही थीं। कालू बर्दिया बाबा अपने खेत में हल चला रहे थे। उनकी साधारण पोशाक और सादगीपूर्ण जीवनशैली उनकी महानता का संकेत मात्र थी। खेतों के चारों ओर वृक्षों का घना घेरा था, पक्षियों की चहचहाहट और हल्की हवा की सरसराहट वातावरण को सुरम्य बना रही थी।

#### **अचानक अजनबी का आगमन**
उसी समय, एक व्यक्ति उधर से गुजरा और उसने बाबा को देख नम्रता से "राम राम" की। परंतु, उसके मन में कुछ और ही चल रहा था। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो उसकी योजना की गवाही दे रही थी। बाबा, अपनी अद्वितीय शक्ति के कारण, उसके मन की बात तुरंत समझ गए। बिना किसी हिचकिचाहट के, बाबा ने उस व्यक्ति से कहा, "उस थुनिया में राम राम रख दो।" 

#### **अविस्मरणीय घटना**
जैसे ही उस अजनबी व्यक्ति ने थुनिया में "राम राम" रखा, वह थुनिया चरमरा कर फट गई। यह दृश्य देखकर वह व्यक्ति घबराकर भागने लगा। बाबा ने उसे पुकारा, "किधर भागते हो? और मुझे मारने का प्रयास क्यों कर रहे हो?" व्यक्ति ने डरते हुए अपनी सारी कहानी बयां कर दी। उसने बताया कि बाबा की शक्ति और प्रसिद्धि से कुछ लोग परेशान थे और उन्होंने उसे बाबा को नुकसान पहुंचाने के लिए भेजा था।

#### **बाबा की उदारता**
बाबा चाहते तो तुरंत उसे दंड दे सकते थे, परंतु उन्होंने उसकी गलती को माफ करते हुए कहा, "चलो, हम हार-जीत की एक शर्त लगाते हैं। सामने इमली का पेड़ है। तुम अपनी शक्ति से उसे मार दो, फिर मैं उसे जीवित करूंगा। और अगर मैं उसे मारूंगा, तो तुम उसे जीवित कर देना।" वह व्यक्ति इस शर्त पर सहमत हो गया। उसने अपनी शक्ति से इमली के पेड़ को मार दिया और पेड़ सूख गया।

#### **प्रकृति की पुनर्जीवित शक्ति**
बाबा ने अपनी शक्ति से रोज उस पेड़ में जल डालना शुरू किया। कुछ ही दिनों में वह पेड़ फिर से हरा-भरा हो गया। उसकी हरियाली और नूतन जीवन शक्ति ने उस व्यक्ति को हैरान कर दिया। कुछ समय बाद, वह व्यक्ति बाबा से मिलने आया और हरे-भरे पेड़ को देखकर बाबा के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगा।

#### **जीवन का उपहार**
बाबा ने उसे उठाया और मुस्कुराते हुए कहा, "मारने वाले से बड़ा काम जीवन देना होता है। इसलिए अपनी शक्ति का उपयोग हमेशा किसी का जीवन लेने में नहीं, बल्कि जीवन देने में करना।" यह सुनकर वह व्यक्ति भावुक हो गया और बाबा की महानता के सामने नतमस्तक हो गया। बाबा ने उसे माफ कर दिया और अपने नेक और दयालु स्वभाव का परिचय दिया।

इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि कालू बर्दिया बाबा न केवल अद्वितीय शक्ति के धनी थे, बल्कि वे महानता और उदारता की मूर्ति भी थे। उनका जीवन आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि सच्ची शक्ति का उपयोग जीवन देने में है, न कि जीवन लेने में। उनके महान कार्य और जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण हमेशा हमारे दिलों में जीवंत रहेंगे।


इसके प्रथम भाग को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें कालू बर्दिया (खली बिरतीया): आस्था और बलिदान की अमर गाथा भाग 1

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