कविता का विस्तृत विश्लेषण: "अगर तुम कोई गाँव देखे होते"


🌾 कविता का विस्तृत विश्लेषण: अगर तुम कोई गाँव देखे होते कवियत्री: निकेता राणा



विश्लेषक:नवीन सिंह

🔷 कविता की पृष्ठभूमि और सार
प्रस्तुत कविता  राणा थारू बोलि में लिखी गई है जिसमें   गांव के बारे में अपने मन के विचारों को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है।
यह कविता केवल गाँव को दर्शाने का प्रयास नहीं करती, वरन यह गाँव की आत्मा को स्पर्श करती है। कवियत्री निकिता का उद्देश्य यह दिखाना है कि जो लोग केवल शहरी जीवन देखे हैं, वे गाँव के उस सौंदर्य, अपनत्व और सरलता को नहीं समझ सकते जो वहाँ की मिट्टी, हवा, रिश्ते और संस्मरणों में रचे-बसे होते हैं।

इस कविता में बार-बार दोहराया गया पंक्तियों का ढाँचा 
> "अगर तुम कोई गाँव देखे होते तो, तो तुम देख पाते..."
एक तरह से पाठकों को झकझोरता है, उन्हें यह एहसास कराता है कि गाँव केवल एक जगह नहीं वरन शिक्षा का स्कूल है। जहां सीखने के अनेक मौके है।

1. सामूहिकता और संयुक्त परिवार की परंपरा

"गाँव के संग - साझे परिवारन के
जो प्रेम से भरे - पूरे होत हैं।
"

यहाँ कवियत्री बताती हैं कि गाँव में रिश्तों का संसार सीमित नहीं होता। हर कोई किसी का अपना होता है। ये संयुक्त परिवार केवल खून के रिश्ते नहीं, भावनात्मक रिश्तों पर भी टिके होते हैं। यह शहरी एकाकी जीवन के उलट, समुदाय पर आधारित जीवनशैली को सामने लाता है।

2. बचपन की चहक और आँगन की संस्कृति

"गाँव के बड़ो से आँगन के
जो में बालका उछल - कूद करत हैं।
"

गाँव का आँगन किसी 'बाल नाट्यशाला' से कम नहीं। इसमें जीवन के पहले पाठ पढ़े जाते हैं – सम्मान, खेल, भाईचारा और उल्लास। यह पंक्तियाँ गाँव के संस्कारिक और सांस्कृतिक परिवेश की ओर संकेत करती हैं, जहाँ बच्चा घर के बुजुर्गों से जीवन के मूलमंत्र ग्रहण करता है।

3. खेती और आत्मनिर्भरता का संदेश

"गाँव के फसल से लहलहात खेतन के
जो पूरी दुनिया को पेट भरत हैं।
"

यहाँ गाँव को भारत की खाद्यशक्ति के रूप में चित्रित किया गया है। खेत सिर्फ फसल उगाने की जगह नहीं, बल्कि जीविका, संस्कृति और स्वाभिमान का प्रतीक हैं। यहाँ यह भी कहा जा सकता है कि जो गाँव नहीं देखता, वह किसान की मेहनत और प्रकृति के साथ उसकी एकता को नहीं समझ सकता।

4. पशुधन – परिवार का हिस्सा

"गाँव के पालत पशुजन के
जो आपन के सुख-दुख के साथी होत हैं।
"

यहाँ पशु केवल उपयोग की वस्तु नहीं हैं, बल्कि सहजीवन का उदाहरण हैं। गाय, बैल, बकरी – सभी परिवार का हिस्सा हैं, उनके सुख-दुख में भागीदार हैं। यह भारतीय ग्रामीण संस्कृति की करुणा और प्रकृति के साथ सामंजस्य को दर्शाता है।

5. प्राकृतिक धार्मिकता – तालाब और नदियाँ

"गाँव के तलउआ और नदियन के
जिनके आज भी पूजो जात हैं।
"

यहाँ कविता गाँव की प्राकृतिक धार्मिकता को दिखाती है। तालाब और नदियाँ केवल जल के स्रोत नहीं हैं, वे संवेदना और श्रद्धा के केंद्र हैं। यह इस बात का संकेत है कि गाँव में प्रकृति और ईश्वर एक ही इकाई माने जाते हैं।

6. बाग़-बग़ीचे और बचपन की स्मृतियाँ

"गाँव में आम की बगियन के
जो बचपन के झूलन की याद दिलात हैं।
"

‘आम की बगिया’ यहाँ सिर्फ फल का स्रोत नहीं बल्कि बचपन के सपनों और स्मृतियों का प्रतीक है। यह दृश्यात्मक चित्रण हमें अपने बचपन की उन खुशियों में ले जाता है जहाँ झूले, खेल और दोस्तों की टोली हुआ करती थी।

7. गाँव का प्राइमरी स्कूल – सपनों की शुरुआत

"गाँव के प्राइमरी स्कूलन के
जहां पे बड़े - बड़े सपना देखे जात हैं।
"

यह कविता का सबसे प्रेरणादायक अंश है। यह संदेश देता है कि सफलता किसी सुविधा से नहीं, सपनों और मेहनत से मिलती है। गाँव के छोटे-छोटे स्कूल बड़े-बड़े भविष्य बनाते हैं। यह पंक्ति सर्वोच्च प्रेरणा का स्रोत है – एक प्राथमिक पाठशाला से भी कोई राष्ट्रपति बन सकता है।

शिल्प सौंदर्य (कविता का काव्य-विधान)

  • अनुप्रास अलंकार: "देखे होते तो, तो तुम देख पाते" जैसे दोहरावों में मधुर ध्वनि से कविता में लय आती है।
  • दृश्यात्मकता: कविता पढ़ते हुए मन में हर दृश्य – खेत, बगिया, तालाब, स्कूल – एक चलचित्र की तरह उभरता है।
  • प्रतीकात्मकता: खेत = आत्मनिर्भरता, बगिया = स्मृति, स्कूल = भविष्य। ये प्रतीक कविता को गहराई देते हैं।

निष्कर्ष

"अगर तुम कोई गाँव देखे होते" एक कविता नहीं, एक निमंत्रण है – उस दुनिया में लौटने का, जहाँ प्रेम दिखावा नहीं, जीवन शैली होता है। यह कविता बच्चों को अपने गाँव से जुड़ने, वहाँ के संसाधनों को समझने, और गर्व के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

🖋️ नवीन सिंह 

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