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राणा थारू बोली मै कविता: सबेरे

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विषय: अन्य प्रवासी समुदायों की तुलना में राणा थारू समाज का आर्थिक विकास क्यों नहीं हो पाया: एक विचार और विश्लेषणलेखक: नवीन सिंह राणा

विषय: अन्य प्रवासी समुदायों की तुलना में राणा थारू समाज का आर्थिक विकास क्यों नहीं हो पाया: एक विचार और विश्लेषण लेखक: नवीन सिंह राणा राणा थारू समाज सदियों से तराई क्षेत्र में निवास करता आया है और निरंतर सांस्कृतिक, सामाजिक व आर्थिक उन्नति की दिशा में प्रयास करता रहा है। परंतु, इतनी लंबी अवधि बीत जाने के बावजूद, यह समाज उन प्रवासी समुदायों की तरह विकसित नहीं हो पाया, जो अन्य स्थानों से आकर यहां बसे और समय के साथ आगे बढ़ते गए। वर्तमान परिदृश्य में यदि राणा थारू समाज की जीवनशैली, सामाजिक स्थिति और आर्थिक स्तर की बात करें तो यह संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। आख़िर इसके कारण क्या हैं? यह प्रश्न आज हर उस जागरूक, शिक्षित और समाजसेवी व्यक्ति के मन में उठना चाहिए, जो राणा थारू समाज की बेहतरी के लिए चिंतित है। मैं स्वयं वर्षों से इस विषय पर सोचता रहा और समाज के विभिन्न स्तरों पर जुड़े लोगों से संवाद करता रहा ताकि यह समझ सकूं कि आखिर इतने वर्षों बाद भी राणा समाज अपेक्षित विकास क्यों नहीं कर पाया। जब मैंने समाज में सक्रिय एक महिला अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से बातचीत की, जो वस्त्र व्यवसाय चला रही...

Title: Lack of Economic Development in the Rana Tharu Community: A Consideration and SpeculationWritten by: Naveen Singh Rana

Title: Lack of Economic Development in the Rana Tharu Community: A Consideration and Speculation Written by: Naveen Singh Rana The Rana Tharu community has been residing in the Terai region for hundreds of years, striving for cultural, social, and economic growth. However, even after such a long period, this community has not achieved the level of development seen among migrants who settled in the same region much later and progressed rapidly. At present, the lifestyle, social status, and economic condition of the Rana Tharu people are not at par with others. This is a matter of serious consideration and reflection, especially for educated individuals, intellectuals, and social thinkers within the community. For a long time, I have been thinking about this issue and engaging in conversations with various people in an attempt to understand why the Rana Tharu community remains economically and socially behind. While interacting with grassroots workers and members of the Rana Tharu commun...

कविता का विश्लेषण – "महिला दिवस"

कविता का विश्लेषण – "महिला दिवस" विश्लेषक: नवीन सिंह राणा  निकेता राणा द्वारा रचित यह थारू बोली में कविता नारी शक्ति के विविध रूपों, संघर्षों और उपलब्धियों को संवेदनशीलता, प्रेरणा और आत्मगौरव के साथ प्रस्तुत करती है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने नारी के ऐतिहासिक, सामाजिक, भावनात्मक और वैज्ञानिक पहलुओं को बेहतरीन ढंग से उकेरा है।  मुख्य भाव: कविता महिला सशक्तिकरण और उनके प्रति सम्मान के भाव से ओतप्रोत है। इसमें महिलाओं के ऐतिहासिक योगदान से लेकर आधुनिक काल तक की यात्रा को विस्तार से दर्शाया गया है। 🔸 पंक्ति-दर-पंक्ति विश्लेषण: 1. “आज महिला दिवस होने पर मिल रही है बधाई...” यह भूमिका पंक्ति है, जो महिला दिवस के अवसर पर बधाई देते हुए शुरू होती है। यहाँ नारी की प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक की महत्ता को स्वीकार किया गया है। 2. “श्रष्टि की है वह रचयिता...” स्त्री को सृष्टि की रचयिता और पालनहार बताया गया है। यह पंक्तियाँ नारी के जीवनदायिनी और संर्वाहक स्वरूप को दर्शाती हैं। 3. “फिर काहे लोग राह को रोड़ा बनें...” यह भाग समाज की रूढ़ियों और स्त्रियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों की...