**"संघर्ष से स्वर्णिम भविष्य तक: एकता और विश्वास की कहानी"(सभी आजीवन सद्स्यों को समर्पित)
**"संघर्ष से स्वर्णिम भविष्य तक: एकता और विश्वास की कहानी"**
Published by Naveen Singh Rana
एक समय की बात है, 'प्रगति नगर' नामक एक छोटे से कस्बे में एक समाजिक संगठन था जिसका नाम 'समाज उत्थान समिति' था। यह समिति हर वर्ष एक महोत्सव का आयोजन करती थी, जिसमें समाज के सभी अजीवन सदस्य और स्थानीय लोग आर्थिक सहयोग प्रदान कर भाग लेते थे। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य समाज के उत्थान और विकास के लिए धनराशि एकत्रित करना था।
इस वर्ष भी, महोत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल-कूद प्रतियोगिताएँ, और समाज के विकास से जुड़े सेमिनार आयोजित किए गए। और विजित प्रतिभागी ओ को सम्मानित किया गया।समाज के सभी सदस्य और स्थानीय लोग बड़े उत्साह के साथ इसमें भाग लिए ।समिति के सदस्य, विशेषकर अजीवन सदस्य, इस बात से बहुत खुश थे कि उनके द्वारा दी गई धनराशि सही कार्यों में लग रही है और समाज का विकास हो रहा है।
महोत्सव के समापन पर समिति ने एक सभा आयोजित की, जिसमें उन्होंने आय और व्यय का पूरा विवरण प्रस्तुत किया। समिति के सचिव, श्रीमान राजेश जी ने बड़े गर्व से बताया कि इस वर्ष एकत्रित धनराशि से गाँव में एक लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। साथ ही, गरीब परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधाओं का भी विस्तार किया जाएगा।
सभा में उपस्थित सभी लोग, विशेषकर अजीवन सदस्य, समिति के इस पारदर्शिता और ईमानदारी के कार्यों से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने देखा कि उनकी धनराशि सही दिशा में उपयोग हो रही है और इससे समाज का वास्तविक उत्थान हो रहा है।
समिति की इस ईमानदारी और पारदर्शिता ने समाज में एक नई ऊर्जा और विश्वास का संचार किया। लोग और अधिक सहयोग करने लगे और समिति के प्रति उनका विश्वास और गहरा हो गया। अगले कुछ वर्षों में, 'प्रगति नगर' ने अपने नाम के अनुरूप ही विकास की नई ऊँचाइयाँ छू ली। नए युवा भवन, चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार, और अन्य सामाजिक कार्यों ने गाँव को एक आदर्श समाज बना दिया।
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जब समाज के लोग एकजुट होकर सही दिशा में कार्य करते हैं और आय व्यय में पारदर्शिता बनाए रखते हैं, तो समाज का सच्चा उत्थान संभव है। 'समाज उत्थान समिति' की इस पहल ने यह साबित कर दिया कि एकजुटता और ईमानदारी से समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है और यह परिवर्तन हमेशा सकारात्मक होता है।
:राणा संस्कृति मंजूषा की प्रस्तुति
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