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कहानी: 'विभाजन की धारा'**(राणा थारू समाज की आधुनिक समय में वास्तविक घटना पर आधारित)

**कहानी: 'विभाजन की धारा'** (राणा थारू समाज की आधुनिक समय में वास्तविक घटना पर आधारित) :नवीन सिंह राणा की कलम से      राणा थारू समाज, अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध था। घने जंगलों और हरे-भरे मैदानों में बसे इस समुदाय के लोग वर्षों से अपने रीति-रिवाजों और त्योहारों का पालन करते आ रहे थे ।परंतु समय के साथ-साथ बाहरी प्रभावों ने इस समाज पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी। ### पहला दृश्य:      गाँव के चौपाल में बुजुर्गों की बैठक हो रही थी। प्रमुख बुजुर्ग, रतन सिंह राणा ने चिंता भरे स्वर में कहा, "हमारे लोग आजकल अपने पुराने धर्म और पंथ को छोड़कर नए-नए पंथों में जा रहे हैं। इसका क्या असर होगा, यह कोई नहीं जानता।" ### दूसरा दृश्य:      वहीं दूसरी ओर, गाँव के युवा, जिन्हें शिक्षा और आधुनिकता का स्पर्श मिल चुका था, वे नए-नए धर्मों की ओर आकर्षित हो रहे थे। मन्नू राणा जो गाँव के एक युवा थे, ने ईसाई धर्म अपना लिया था। उसकी बहन, गीता राणा बौद्ध धर्म की ओर झुक गई थी। गाँव में हर कोई अपने तरीके से नई-नई मान्यताओं को अपनाने लगा था। ### तीसरा दृ...

विनाश से उभार नशा मुक्ति की ओर कदम (राणा थारू समाज की सच्ची कहानी )

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### **विनाश से उभार, नशा मुक्ति की ओर कदम (राणा थारू समाज की सच्ची कहानी**) नवीन सिंह राणा की कलम से  **पृष्ठभूमि:** तराई क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों में बसा 'अम्बिकापुर' गाँव, राणा थारू समाज का एक प्रमुख केंद्र था। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस गाँव के निवासी मेहनती और सरल थे। लेकिन धीरे-धीरे गाँव में शराब का नशा बढ़ने लगा, जिसका असर युवाओं और बड़ों पर गहराई से पड़ रहा था। **मुख्य पात्र:** 1. **राजू सिंह राणा** - गाँव का एक होनहार युवा, जिसने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। 2. **भीमा सिंह राणा** - राजू का पिता, जो शराब के नशे में डूबा रहता था। 3. **सरिता देवी** - राजू की माँ, जो परिवार को एकजुट रखने की कोशिश करती थी। 4. **गाँव के अन्य निवासी** - जो शराब की समस्या से जूझ रहे थे। **कहानी:** राजू सिंह राणा गाँव का सबसे होनहार युवा था। उसने शहर में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी और गाँव के बच्चों के लिए एक आदर्श था। लेकिन राजू के घर की स्थिति बहुत खराब थी। उसके पिता, भीमा सिंह राणा, शराब के नशे में डूब चुके थे। नशे की लत ने उन्हें इतना कमजोर कर दिया था कि वे परिवार की देखभाल नहीं कर पाते थे।...

"नशे की अंधेरी राह से उजाले की ओर: निर्मलपुर गांव की संघर्ष गाथा"**

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**"नशे की अंधेरी राह से उजाले की ओर: निर्मलपुर की संघर्ष गाथा"**नवीन सिंह राणा की कलम से     राणा थारू समाज का गाँव निर्मलपुर, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण जीवन के लिए प्रसिद्ध था। चारों फसलों से लहलाते खेत, बाग बगीचों की हरियाली, बहती नदियाँ, और सजीव वन्यजीव और गांव में शाम को लगती चौपाल इसे स्वर्ग के समान बनाते थे। लेकिन समय के साथ गाँव में कुछ बदलाव आने लगे, जो इसके सौंदर्य और शांति को काले साये में ढकने लगे।    गाँव में शराब का चलन पहले से था, जो विशेष अवसरों पर आनंद का साधन था। परंतु धीरे-धीरे यह आनंद एक बुरी लत में बदलने लगा। शराब के बाद, चरस, गांजा और स्मैक जैसी मादक द्रव्यों ने गाँव में अपनी जगह बना ली।  शराब माफिया, स्मैक माफिया लुके छिपे युवाओं को अपनी गिरफ्त में लेने लगे। इससे युवाओं में इन नशों की लत तेजी से फैलने लगी। इससे समाज की स्थिति भयावह हो गई। कई घर-परिवार तबाह हो गए, गरीबी ने उन्हें जकड़ लिया, और हत्याएँ, आत्महत्याएँ जैसी घटनाएँ आम हो गईं।     मनोहर सिंह राणा और गीता देवी का परिवार भी इस संकट से...

*प्रकृति की गोद में राणा थारू समाज: एक प्रेरणादायक कहानी**

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**प्रकृति की गोद में राणा थारू समाज: एक प्रेरणादायक कहानी** नवीन सिंह राणा की कलम से         ग्राम रामपुरा की हरी-भरी वादियों में बसा राणा थारू समाज अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ के लोग मेहनती, खुशहाल और प्राकृतिक जीवन जीने में विश्वास रखते थे। मगर पिछले कुछ वर्षों में नशे की लत ने यहाँ की शांति को भंग कर दिया था। नशे के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके थे, बच्चे अनाथ हो गए थे, बूढ़े मां बाप बेसहारा और पत्नियाँ अपने बच्चों की परवरिश को लेकर चिंतित थीं।     इस समाज की एक बहादुर महिला, सुमित्रा, जो अपने गाँव में सुमी दीदी के नाम से मशहूर थी, ने ठान लिया कि वह इस नशे की समस्या से अपने समाज को मुक्त करेगी। सुमी दीदी के पति भी नशे की लत के शिकार हो चुके थे और कुछ साल पहले ही उनका निधन हो गया था। अपने पति के निधन के बाद सुमी ने अपने बच्चों और समाज को सँभालने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।      एक दिन, सुमी दीदी ने गाँव के बीचों-बीच एक सभा का आयोजन किया। सभा का स्थान गाँव के सुंदर तालाब के किनारे चुना गया, जहाँ चा...

राणा थारू समाज की एक खुशहाल कहानी

### राणा थारू समाज की खुशहाल कहानी :नवीन सिंह राणा की कलम से  **पृष्ठभूमि:** तराई क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों में बसा एक छोटा सा गाँव, 'हरियालीपुर', राणा थारू समाज का केंद्र था। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय थी – चारों ओर फैले घने जंगल, नदी की कलकल करती धारा और खेतों में खिलते रंग-बिरंगे फूल। **मुख्य पात्र:** 1. **भीम सिंह राणा** - एक मेहनती किसान और परिवार का मुखिया। 2. **गौरी देवी** - भीम सिंह राणा की पत्नी, जो घर की देखभाल और खेती-बाड़ी में मदद करती थी। 3. **कमल सिंह राणा और कुमारी सरोज राणा** - भीम और गौरी के बच्चे, जो गाँव के स्कूल में पढ़ते थे। **कहानी:** भीम सिंह राणा एक मेहनती और अनुशासित व्यक्ति था। वह सुबह-सवेरे उठकर खेतों में काम करने निकल जाता। खेतों में काम के दौरान वह अपने बच्चों को प्रकृति के महत्व और इसके संरक्षण के बारे में भी समझाता। उसकी पत्नी गौरी देवी भी खेती में उसकी मदद करती थी और घर का काम संभालती थी।  भीम सिंह राणा का मानना था कि घर, काम और समाज के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्ची खुशी का आधार है। वह अपने बच्चों को भी यही सिखाता। भीम और गौरी ने अपने बच...

सम्मान का पथ: एक प्रेरणा दायक कहानी

सम्मान का पथ: एक प्रेरणा दायक कहानी  : नवीन सिंह राणा की 🖋️ से       छोटे से गाँव के एक साधारण परिवार में जन्मा रवि, पढ़ाई में हमेशा से अव्वल था। उसके माता-पिता ने हमेशा उसकी पढ़ाई के प्रति उसके जुनून को प्रोत्साहित किया, भले ही उनके पास सीमित संसाधन थे। रवि ने अपनी मेहनत और लगन से इंटरमीडिएट परीक्षा में गाँव में प्रथम स्थान प्राप्त किया।       गाँव के स्कूल में हर साल मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए एक सम्मान समारोह आयोजित होता था, जिसमें उन्हें पुरस्कृत किया जाता था और आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इस साल, रवि को भी इस समारोह में सम्मानित किया जाना था।       समारोह का दिन आया, और स्कूल में गाँव के सभी प्रमुख लोग, अध्यापक, और विद्यार्थियों के माता-पिता एकत्रित हुए। मंच पर जब रवि का नाम पुकारा गया, तो उसके माता-पिता की आँखों में गर्व और खुशी के आँसू थे। रवि ने मंच पर जाकर पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्राप्त किया। उसे सम्मानित करने के लिए गाँव के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति, श्रीमान वर्मा जी, आए थे।     ...

एकता की शक्ति का रहस्य

### एकता की शक्ति का रहस्य  :नवीन सिंह राणा की कलम से  एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक सुंदर आम का बाग था। इस बाग में 12वृक्ष थे, जो अपनी मिठास और सुगंध के लिए प्रसिद्ध थे। गांव के लोगों ने इन पेड़ों की देखभाल के लिए एक 12 मालियों की टोली बनाई। शुरुआत में, सभी सदस्य मिल-जुल कर काम करते थे, जिससे बाग बहुत हरा-भरा और फलदायी हो गया। परन्तु धीरे-धीरे सदस्यों में आपसी बात नही बनने लगी ।कोई एक सदस्य कहता कि पानी कब देना चाहिए, तो दूसरा कहता कि खाद कब डालनी चाहिए। सभी सदस्य अपने-अपने तरीके से काम करना चाहते थे, जिससे बाग की देखभाल ठीक से नहीं हो पाई और पेड़ सूखने की कगार पर आ गए। एक दिन गांव के एक बुजुर्ग, जो अपने अनुभव और ज्ञान के लिए जाने जाते थे, उन्होंने इस समस्या को देखा और सभी सदस्यों को एकत्रित किया। उन्होंने एक छोटी सी कहानी सुनाई: "एक बार एक किसान के पास 10 मजबूत बैल थे। जब सभी बैल एक साथ मिलकर हल खींचते थे, तो खेत बहुत अच्छी तरह से जुतता था और फसलें भी बहुत अच्छी होती थीं। लेकिन कुछ दिनों बाद बैल अपनी अपनी मर्जी से काम करने लगे , बैल ताकत लगाता तो दूसरा ढीला पड़ जा...