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राणा थारू समाज की गंगा स्नान (दशहरा स्नान) परंपरा: एक विचारणीय लेख

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राणा थारू समाज की गंगा स्नान (दशहरा स्नान) परंपरा: एक विचारणीय लेख Published by Naveen Singh Rana      भारत की विविध संस्कृति में हर समाज की अपनी अनूठी परंपराएं हैं, और राणा थारू समाज भी इससे अछूता नहीं है। उनकी दशहरा स्नान की परंपरा एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। गंगा नदी में स्नान करने की यह प्रथा, समाज के लोगों के लिए एक धार्मिक कर्तव्य और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रही है। दशहरा के मौके पर, यह स्नान शुद्धिकरण और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है। कुछ दशकों पहले हमारे राणा थारू समाज में इस गंगा दशहरा स्नान को लेकर अलग ही उत्साह रहता था घर परिवार के सदस्य इस अवसर पर अपने घर पर अथवा शारदा नदी के तट पर सत्य नारायण की पूजा पाठ करा कर पुण्य प्राप्त करते थे, बड़ी संख्या में लोग, नदी के तटों पर स्नान कर इस त्योहार में रम जाते थे। चाहें झनकट गांव में परवीन नदी का तट हो या झनकैया में शारदा नदी का तट या टनकपुर में काली नदी का तट, इस गंगा स्नान के अवसर पर भारी संख्या में लोग इकट्ठे होकर कथा पाठ कराकर पुण्य को बांटते थे, जो अब लुप्त प्राय सा लग...

✨🌟✨🌟✨🌟✨🌟✨🌟✨🌟🌟✨✨राणा थारू समाज और पिता दिवस: एक संपादकीय✨🥀✨🥀✨🌟✨✨✨🥀✨🥀🌟🥀✨✨🌟✨✨🥀✨✨🥀✨🥀✨✨🌟✨

राणा थारू समाज और पिता दिवस: एक संपादकीय Published by Naveen Singh Rana  🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷  संपादकीय  🪔"राणा संस्कृति मंजूषा "🪔 🥀🥀राणा समाज की एकमात्र बेहतरीन ऑनलाइन पत्रिका 🥀🥀 ✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨🥀 कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता, कभी धरती तो कभी आसमान है पिता जन्म दिया है अगर मां ने जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता,  कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता, कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता, मां अगर मैरों पे चलना सिखाती है, तो पैरों पे खड़ा होना सिखाते हैं पापा ✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀✨🥀  पिता दिवस एक ऐसा अवसर है व हर वर्ष जून माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है,जो हमें अपने जीवन में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण कराता है। यह दिन पिता के प्रति सम्मान, प्रेम और आभार व्यक्त करने का सुअवसर है। राणा थारू समाज, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक मूल्यों के लिए जाना जाता है, पिता दिवस को अपने अद्वितीय ढंग से मनाना चाहिए है। यह हमारा समाज अपने परंपराओं में पिता के मान-सम्मान, देखभाल, संस्कार और शिक्षा के ...

राणा समाज और विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस: हमारे बुजुर्गों के सम्मान और संरक्षण की आवश्यकता

**राणा समाज और विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस: हमारे बुजुर्गों के सम्मान और संरक्षण की आवश्यकता** Published by Naveen Singh Rana   संपादकीय  ,""राणा संस्कृति मंजूषा "" हमारे समाज की नींव और संस्कृति की धरोहर, हमारे बुजुर्ग, आज एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं। 15 जून को मनाया जाने वाला "विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस" हमें इस गंभीर समस्या की याद दिलाता है और हमें आत्ममंथन करने का अवसर प्रदान करता है। राणा समाज, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, आज एक जिम्मेदारी के मोड़ पर खड़ा है।  हमारे बुजुर्ग, जिन्होंने अपने ज्ञान, अनुभव और बलिदान से हमारे समाज को समृद्ध किया है, वे अब संरक्षण और सम्मान के हकदार हैं। यह अत्यंत दुखद है कि आज कई बुजुर्गों को दुर्व्यवहार, उपेक्षा और अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। यह केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारी नैतिकता और संस्कृति पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है। और गहराई से देखा जाय तो कुछ और भी, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता,, सिर्फ विचार किया जा सकता है। राणा समाज में, जहां परं...

नया सूरज

**नया सूरज** Published by Naveen Singh Rana  एक समय की बात है, एक हरा-भरा और सुंदर जंगल था, जिसमें एक विशाल बरगद का पेड़ खड़ा था। इस पेड़ पर अनेक पक्षी रहते थे और इसे अपना घर मानते थे। पक्षियों के इस परिवार में एक बुजुर्ग और बुद्धिमान हंस भी था, जिसे सभी आदरपूर्वक 'दादा' कहते थे। दादा हंस की दूरदर्शिता और अनुभव का सभी सम्मान करते थे। एक दिन दादा हंस ने देखा कि पेड़ के तने के पास एक छोटी सी बेल उग रही है। उसने तुरंत सभी पक्षियों को बुलाया और कहा, "देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। यह एक दिन हम सबके लिए खतरा बन सकती है।" एक युवा हंस, जिसका नाम गोलू हंस था, हंसते हुए बोला, "दादा, यह छोटी सी बेल हमें कैसे नुकसान पहुंचा सकती है?" दादा हंस ने समझाया, "आज यह छोटी है, लेकिन धीरे-धीरे यह पेड़ को लपेटते हुए ऊपर चढ़ जाएगी और फिर यह पेड़ पर सीढ़ी बना देगी। इससे कोई भी शिकारी आसानी से पेड़ पर चढ़ सकता है और हमें पकड़ सकता है।" गोलू हंस ने दादा की बात ध्यान से सुनी और उसने तय किया कि इस समस्या का समाधान स्वयं करेगा। उसने सभी पक्षियों से सहयोग मांगा और मिलकर उस बेल को ...

🪔राणा थारू समाजस्य कृषिकार्यं संस्कृतिविधानम्🪔

🪔🪔 राणा थारू समाजस्य कृषिकार्यं संस्कृतिविधानम्🪔🪔 ("नवीनसिंहस्य राणा थारू समाजस्य संस्कृतये समर्पितम्") Published by Naveen Singh Rana        उत्तराखण्डराज्यस्य तराई भावर प्रदेशे राणा थारू समाजस्य ग्रामाणां यत्र हरितप्रदेशः सदा मनोहरः दृश्यते, तत्र कृषिकार्यं त्यौहारवत् उत्सवः भवति। कृषिकार्यम् आरभ्य, फसलस्य गृहम् आनयने पर्यन्तं सर्वं कार्यं संस्कृति: परम्परायाश्च अङ्गीभूतं दृश्यते। अस्याः समाजस्य कृषिव्यवस्थायां संस्कृति: प्रमुखं स्थानं धारयति। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺                🌹क्षेत्रसज्जीकरणम्🌹 कृषिकर्मणः प्रारम्भे क्षेत्रस्य सज्जीकरणं क्रियते। क्षेत्रस्य प्रथमः पञ्च जुतयः अनुष्ठीयन्ते यदा 'हरैतो' तथा 'पोया' नामक कृषकद्वारा देवतारूपेण बीजं क्षेत्रे अर्पयन्ति। क्षेत्रस्य सज्जीकरणे तथा बीजारोपणकाले विशेषः धार्मिकः अनुष्ठानः सम्पाद्यते। अस्मिन्कर्मणि क्षेत्रे बीजानां समर्पणं देवतारूपेण कृतं भवति यत् फसलस्य समृद्धये स्यात्। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺               ?...

हे भूमसेन देव बस इतना कर दीजीए : प्रार्थना :नवीन सिंह राणा

हे भूमसेन देव बस इतना कर दीजीए : विनय  :नवीन सिंह राणा  हे भूमसेन देवता आप हमारे गांव समाज के आराध्य हैं आप हमारे समाज पर इतनी कृपा कर दीजीए   हमारे राणा समाज में खुशी और समृद्धि हो। समाज शिक्षित हो, रोजगार और स्वरोजगार से परिपूर्ण हो। हमारी संस्कृति और परंपराएँ सदैव नए आयाम प्राप्त करें। समाज से सभी अवगुण समाप्त हो जाएँ, बच्चे संस्कारित, नैतिक, बलवान और ज्ञानवान बनें। वृद्धों का सम्मान सदैव बना रहे, माताओं और बहनों का आदर सतत बना रहे। हमारे खेत-खलिहान हरे-भरे और समृद्धशाली हों। खुशी का मूल शिक्षा का महत्व समझा जाता है। समाज में शिक्षा का प्रसार अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा के अभाव में न केवल व्यक्तिगत विकास बाधित होता है, बल्कि समाज की समृद्धि भी बाधित होती है। अतः हम सभी समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रयास करें। रोजगार और स्वरोजगार समाज की आर्थिक स्थिति का मूलाधार है। युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करें। वे नवोन्मेषपूर्ण योजनाएँ शुरू करके आत्मनिर्भर बनें। रोजगार केवल आर्थिक समृद्धि नहीं देता, बल्कि स्वाभिमान भी बढ़ाता है। संस्कृति और परंपराएँ समाज की आत्मा के स...

🌹🌹भूम्याः देवस्य वन्दना💥💥💥

🌸🌸🌸भूम्याः देवस्य वन्दना🌸🌸🌸 published by Naveen Singh Rana  🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀✨✨✨✨✨ जयः भूम्याः देवं नत्वा, करोषि ग्रामस्य रक्षणम्। राणा थारू ग्रामस्य, पालय त्वं सदा प्रभो॥१॥ 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀✨✨✨✨✨✨🥀🥀 ग्रामे वसतां जनानां, कुरु रक्षणम् उत्तमम्। सर्वेभ्यः सुखसमृद्धिं, निरोगतां च दापय॥२॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 निर्धनता शत्रुतां च, घृणां लोभं च नाशय। सर्वेषां हृदि स्थिता, भावनाः सन्तु निर्मलाः॥३॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 क्षेत्रे धान्यानि वर्धन्तां, फलान्युपवनेषु च। गोशालायां च पश्यन्तु, पशुधनस्य वर्धनम्॥४॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 निरंतरं विकासाय, कृषकाः कुर्वन्तु कर्म च। ग्रामस्य सर्वत्र सौख्यं, भवतु नित्यं हरिप्रियम्॥५॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 चप्पे चप्पे सुखं स्यात्, सौम्यतां सदा भावय। भूम्याः देवः कृपां कुरु, सदा भवतु मंगलम्॥६॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ग्रामे ग्रामे हर्षं स्यात्, स्नेहं प्रेमं च सन्तु यत्। वैराणि नाशय त्वं, दया दाक्षिण्यं दापय॥७॥ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌹🌹🌹 अन्नं वस्त्रं च पर्याप्तं, सर्वेभ्यः सदा दापय। ग्रामस्य...